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भारत विकास परिषद उत्तराखंड पश्चिम प्रांत के नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई


महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी एवं उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।इस अवसर पर अवधेशानंद गिरी जी महाराज एवं विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कई विशिष्ट जनों को विकास रत्न पुरस्कार व शिक्षकों को शिक्षक रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 5 सितंबर। सिडकुल के एक निजी होटल में आयोजित भारत विकास परिषद उत्तराखंड पश्चिम प्रांत (विकास रत्न) के अधिष्ठापन कार्यक्रम के दौरान महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी एवं उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।इस अवसर पर अवधेशानंद गिरी जी महाराज एवं विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कई विशिष्ट जनों को विकास रत्न पुरस्कार व शिक्षकों को शिक्षक रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भारत विकास परिषद उत्तराखंड पश्चिम प्रांत के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों में प्रांतीय अध्यक्ष बृज प्रकाश गुप्ता, प्रांतीय महासचिव जोगेंद्र कुमार मोगा, प्रांतीय वित्त सचिव सुभाष चंद्र शतपथी, प्रांतीय उपाध्यक्ष गोपाल चंद्र बंसल, प्रांतीय संगठन सचिव अनिल वर्मा, प्रांतीय महिला संयोजिका मनीषा सिंघल, प्रांतीय संयोजक सुगंध जैन, प्रांतीय संयोजक अन्नपूर्णा बदूनी ने शपथ ग्रहण की। इस अवसर पर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने कहा कि भारत विकास परिषद पांच मूल सिद्धांतों के साथ समाज में काम कर रही है।समर्पण, संपर्क, सहयोग संस्कार और सेवा के लिए समाज में अभूतपूर्व कार्य कर रही है।परिषद द्वारा किए जा रहे कार्यों से समाज में चेतना का संचार हो रहा है।यह अराजनैतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक स्वयंसेवी संस्था है। जो बाबा साहब के आदर्शो को अपनाते हुए यह मानव-जीवन के सभी क्षेत्रों (संस्कृति, समाज, शिक्षा, नीति, अध्यात्म, राष्ट्रप्रेम आदि) में भारत के सर्वांगीण विकास के लिये समर्पित है। इसका लक्ष्य वाक्य - "स्वस्थ, समर्थ, संस्कृत भारत" है। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों से अपेक्षा की है कि परिषद के आदर्शों, उद्देश्यों और मर्यादाओं के अनुरूप पूर्ण निष्ठा लगन तथा अनुशासन के साथ अपने दायित्व का निर्वहन कर परिषद का गौरव बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे। अग्रवाल ने कहा कि आधुनिकता की चकाचौंध में हमें अपनी संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों को दरकिनार नहीं करना चाहिए। युवा पीढ़ी में संस्कार, नैतिकता व शिष्टाचार की कमी न हो, इसके लिए हमें स्वयं से ही शुरुआत करनी होगी। संस्कार यानी हमारी जड़ें हमारी पहचान, संस्कार शिष्टाचार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तातरित होते आए हैं।उन्होंने कहा कि युवाओं में भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता बनाए रखने के लिए संस्था का योगदान सराहनीय है।

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