शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना अखाड़े की पौराणिक पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ ने बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम मे पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर अपना पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण पूरा कर लिया है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना अखाड़े की पौराणिक पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ ने बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम मे पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर अपना पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण पूरा कर लिया है। बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ से पूरà¥à¤µ अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज,पà¥à¤°à¤®à¥à¤– छड़ी महंत शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त शिवदतà¥à¤¤ गिरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त विशमà¥à¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤°à¤¾à¤œ गिरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त कà¥à¤¶à¤ªà¥à¤°à¥€ के नेतृतà¥à¤µ में साधà¥-संतो का जतà¥à¤¥à¤¾ जोशीमढ पहà¥à¤šà¤¾,जहां आदà¥à¤¯ जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ मठके गादीपति सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ ने पवितà¥à¤° छडी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर सà¤à¥€ संतो का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पवितà¥à¤° छड़ी पवितà¥à¤° कलà¥à¤ª वृकà¥à¤· के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ को पहà¥à¤šà¥€à¥¤ इसी कलà¥à¤ªà¤µà¥ƒà¤•à¥à¤· के नीचे जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ ने à¤à¤• गà¥à¤«à¤¾ में साधना कर गà¥à¤°à¤‚थों की रचना की थी। पवितà¥à¤° छड़ी को शंकराचारà¥à¤¯ गà¥à¤«à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ में सà¤à¥€ साधà¥-संत पवितà¥à¤° छड़ी के साथ नगर का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करते हà¥à¤ हर हर महादेव के जयघोष के साथ नरसिंहमनà¥à¤¦à¤¿à¤° पहà¥à¤šà¥‡à¥¤ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के दौरान सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ नागरिको ने पवितà¥à¤° छड़ी व साधॠसंतो का जगह जगह सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया व संतो का अरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। नरसिंह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में तीरà¥à¤¥ पूरोहितों ने पवितà¥à¤° छड़ी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर सà¤à¥€ को à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¶ का आरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ दिया और इस पावन पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ के सफल होने की à¤à¤—वान से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¤¾à¤¨à¤‚द बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ ने बताया इस दशनामी छड़ी यातà¥à¤° की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ ढाई हजार वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ आदà¥à¤¯à¤œà¤—दॠगà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ महाराज ने सनातन धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ तथा गैर सनातनी विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के उनà¥à¤®à¥‚लन के लिठचलाई थी ओर पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· में दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से सनातन धरà¥à¤® का वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ कायम कर दिया था। जूना अखाड़े की यह पवितà¥à¤° छड़ी इसी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ है। इस यातà¥à¤°à¤¾ का उददेà¥à¤¶à¥à¤¯ à¤à¥€ सनातन धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ देवà¤à¥‚मि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में वरà¥à¤— विशेष की घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ को रोकना तथा पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ से हरहे पलायन पर अंकà¥à¤¶ लगाना है। शंकराचारà¥à¤¯ मठमें रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ शनिवार को पवितà¥à¤° छड़ी गोविनà¥à¤¦ घाट से घांधरियों होते हà¥à¤ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ कà¥à¤£à¥à¤¡ की ओर रवाना हà¥à¤¯à¥€,लेकिन मारà¥à¤— अवरूदà¥à¤µ होने के कारण वही से लोकपाल परà¥à¤µ के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की। पौराणिक आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ कà¥à¤£à¥à¤¡ मंे à¤à¤—वान लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ ने तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी। यहां से पाणà¥à¤¡à¥‚केशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पवितà¥à¤° छड़ी पहà¥à¤šà¥€à¥¤ इस पौराणिक मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ पाणà¥à¤¡à¤µà¥‹à¤‚ ने की थी। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤µ की समापà¥à¤¤à¤¿ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पांडव पशà¥à¤šà¤¤à¤¾à¤ª करने के लिठहिमालय में आठथे इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ योगधà¥à¤¯à¤¾à¤¨ किया था। इसलिठइसे योग धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ बदà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ कहते है। पाणà¥à¤¡à¥‚केशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के बाद पवितà¥à¤° छड़ी गà¥à¤µà¤¾à¤² मणà¥à¤¡à¤² की यातà¥à¤°à¤¾ के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® पड़ाव में शनिवार को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम पहà¥à¤šà¥€à¥¤ जहां महामणà¥à¤¡à¤²à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बालकदास ने अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ पवितà¥à¤° छड़ी की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। शाम लगà¤à¤— 4बजे महामणà¥à¤¡à¤²à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° बालकदास महाराज सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पवितà¥à¤° छड़ी को लेकर साधà¥à¤“ं के जतà¥à¤¥à¥‡ सहित बाबा बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ व पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के लिठमनà¥à¤¦à¤¿à¤° पहà¥à¤šà¥‡à¥¤ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पूरोहितों,पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व बदà¥à¤°à¥€ केदार समिति के अधिकारियों ने à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के चरण में पवितà¥à¤° छड़ी का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ कराकर पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर सà¤à¥€ को à¤à¤—वान का आरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ दिया। पवितà¥à¤° छड़ी को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ à¤à¤—वान को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ अंगवसà¥à¤¤à¥à¤° पहनाया। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज ने बताया पौराणिक पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ का पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण पूरा हो गया। अपने पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण में पवितà¥à¤° छड़ी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° मायादेवी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤¯à¥€ थी। अपनी दस दिवसीय यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान पवितà¥à¤° छड़ी लाखामणà¥à¤¡à¤², यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ धाम, गंगोतà¥à¤°à¥€, केदारनाथ, तà¥à¤°à¤¿à¤œà¥à¤—ीनारायण, उतà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ में काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°, ओमकारेशà¥à¤µà¤° महादेव उखीमढ, तृंगनाथ, अनà¥à¤¸à¥‚ईया मणà¥à¤¡à¤² कोटेशà¥à¤µà¤° महादेव रूदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—,लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£à¤•à¥à¤£à¥à¤¡, वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾, सीतामà¥à¥€ सहित कई अनà¥à¤¯ पौराणिक तीरà¥à¤¥à¥‹ ,मठ-मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के लिठगयी। सà¤à¥€ जगह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ नागरिकोें ने पवितà¥à¤° छड़ी पर पà¥à¤·à¥à¤ªà¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ कर साधà¥-संतो का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ कहा रविवार को पवितà¥à¤° छड़ी करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤šà¥‡à¤—ी, जहां से कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ॅ मणà¥à¤¡à¤² की यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की जायेगी।