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ऋषिकेश में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया


ऋषिकेश में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया गया। जिसमें लोगों ने संस्थान के विशेषज्ञ चिकित्सकों से डाउन सिंड्रोम के लक्षण, आवश्यक परामर्श एवं उपचार विषय पर चर्चा की। इस दौरान चिकित्सकों ने लोगों के प्रश्नों के जवाब भी दिए।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

सोमवार को एम्स, ऋषिकेश में विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया गया। जिसमें लोगों ने संस्थान के विशेषज्ञ चिकित्सकों से डाउन सिंड्रोम के लक्षण, आवश्यक परामर्श एवं उपचार विषय पर चर्चा की। इस दौरान चिकित्सकों ने लोगों के प्रश्नों के जवाब भी दिए। संस्थान के बाल रोग विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम के बाबत विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. प्रशांत कुमार वर्मा ने बताया कि इस खास दिन को हमारी समस्या बांटने और आत्मविश्वास बढ़ाने के अवसर के रूप में लेना चाहिए। लिहाजा लोगों को बच्चों में पाई जाने वाली इस बीमारी के बाबत जागरुक करने को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इंसेट क्या है डाउन सिंड्रोम- डाउन सिंड्रोम का कारण- सामान्यरूप से शिशु 46 क्रोमोसोम (गुणसूत्र) के साथ पैदा होता है। शिशु 23 क्रोमोसोम का एक सेट अपने पिता से और 23 क्रोमोसोम का एक सेट अपनी मां से ग्रहण करता है। लेकिन जब माता या पिता का एक अतिरिक्त 21 वां क्रोमोसोम शिशु में आ जाता है, तब डाउन सिंड्रोम होता है। डाउन सिंड्रोम अधिक जोखिम कारक- कोई महिला 35 वर्ष की उम्र के बाद गर्भवती होती है, यदि पहला बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हो, मां या पिता 21 गुणसूत्र संतुलित वाहक हो। डाउन सिंड्रोम का लक्षण: चेहरे के फ्लैट फीचर, सिर का छोटा आकार, गर्दन छोटी रह जाना, छोटा मुंह और उभरी हुई जीभ, मांसपेशियां कमजोर रह जाना, दोनों पैर के अंगूठों के बीच अंतर, चौड़ा हाथ और छोटी उंगलियां, वजन और लंबाई औसत रूप से कम होना, बुद्धि का स्तर काफी कम होना, समय से पहले बुढ़ापा आना, अंदरूनी अंगों की खराबी, हृदय, आंत, कान या श्वास संबंधी समस्याओं का होना मुख्य रूप से शामिल हैं। ऐसे लगाएं डाउन सिंड्रोम का पता- प्रेग्नेंसी के दौरान एक स्क्रीनिंग टेस्ट (ड्यूल टेस्ट, ट्रिपल टेस्ट, अल्ट्रा सोनोग्राफी) और डायग्नोस्टिक टेस्ट किया जाता है (एमनिओसेंटेसिस), जिसमें इस बीमारी का पता लगाया जाता है। डिलिवरी के बाद नवजात शिशु का एक ब्लड सैंपल लिया जा सकता है, जिसमें 21वें क्रोमोजोम की जांच की जाती है। “कभी भी एक रात नहीं थी जो सूर्योदय या आशा को हरा सकती थी” उसी तरह कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं है जो हमारी उम्मीद को तोड़ पाए । लिहाजा समस्या को साथ मिलकर कम करने की प्रयास करें, खुद भी खुश रहें और अन्य लोगों को भी खुश रहने की हिम्मत दें । बाल रोग विभाग, एम्स ऋषिकेश की ओर से विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में माता- पिता व अन्य देखभालकर्ताओं ने डाउन सिंड्रोम बीमारी के बारे में एम्स चिकित्सकों से जानकारी प्राप्त की और इसके लक्षण कारण और निवारण के बारे में सवालात किए। इस दौरान एम्स के विशेषज्ञों ने उन्हें विभिन्न प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर दिए।

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