à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में निहित “वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बकम†का संदेश संपूरà¥à¤£ विशà¥à¤µ को à¤à¤• परिवार मानने की शिकà¥à¤·à¤¾ देता है और ‘बंधà¥à¤¤à¥à¤µâ€™ से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान à¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को सवंदà¥à¤§à¤¿à¤¤ और पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करता है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 30 मारà¥à¤š । à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में निहित “वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बकम†का संदेश संपूरà¥à¤£ विशà¥à¤µ को à¤à¤• परिवार मानने की शिकà¥à¤·à¤¾ देता है और ‘बंधà¥à¤¤à¥à¤µâ€™ से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान à¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को सवंदà¥à¤§à¤¿à¤¤ और पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करता है। मौलिक करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ (अनà¥à¤šà¥à¤›à¥‡à¤¦-51।) में à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤–ित हैं कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नागरिक का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि वह धारà¥à¤®à¤¿à¤•, à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ, कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ अथवा वरà¥à¤— विविधताओं से ऊपर उठकर सौहारà¥à¤¦à¥à¤° और आपसी à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करेेें। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ में बताया गया है कि ‘बंधà¥à¤¤à¥à¤µâ€™ से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ - à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और दूसरा देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ और अखंडता से है। अतः सामाजिक सदà¥à¤à¤¾à¤µ, सामाजिक à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾, ‘देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ और अखंडता’, परसà¥à¤ªà¤° सदà¥à¤à¤¾à¤µ à¤à¤µà¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ पोषित और विकसित कर जनसमà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के बीच सà¤à¥€ मतà¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ को कम करने हेतॠपà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का परम करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है, वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को पोषित करने की नितांत आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने से न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज जागृत होगा बलà¥à¤•à¤¿ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° होगा। à¤à¤• सशकà¥à¤¤ और समृदà¥à¤§ ‘नेशन के लिये धारà¥à¤®à¤¿à¤• संघरà¥à¤· और सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• हिंसाà¤à¤ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर धारà¥à¤®à¤¿à¤• सौहारà¥à¤¦ और सदà¥à¤à¤¾à¤µ की जरूरत होती है। जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने छोटी सी उमà¥à¤° में समाज को à¤à¤•à¤¤à¤¾ और अखंडता के सूतà¥à¤° मंे पिरोने हेतॠपैदल à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर चार पीठों की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। कशà¥à¤®à¥€à¤° से कनà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ तक, दकà¥à¤·à¤¿à¤£ से उतà¥à¤¤à¤° तक, पूरà¥à¤µ से पशà¥à¤šà¤¿à¤® तक पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर à¤à¤•à¤¤à¤¾ का संदेश दिया वह à¤à¥€ उस समय जब कमà¥à¤¯à¥‚निकेशन (संवाद) और यातायात के कोई साधन नहीं थे। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में à¤à¥€ à¤à¤•à¤°à¥‚पता हमारे à¤à¥‹à¤œà¤¨ में, हमारी पोशाक में à¤à¤²à¥‡ ही न हो परनà¥à¤¤à¥ हमारी सोच में à¤à¤•à¤°à¥‚पता अवशà¥à¤¯ होनी चाहिये। हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤•à¤¤à¤¾ हो; à¤à¤•à¤°à¥‚पता हमारे à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में हो, विचारों में हो ताकि हम सà¤à¥€ मिलकर रहें। आदिगà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी ने वेदानà¥à¤¤ और अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ के à¤à¤¸à¥‡ दिवà¥à¤¯ सूतà¥à¤° दिये जिसने à¤à¤¾à¤°à¤¤ ही नहीं पूरे विशà¥à¤µ को à¤à¤• नई दिशा दी। आदिगà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤ , शà¥à¤°à¥ƒà¤—ंेरी शारदा पीठ, दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾ पीठ, गोवरà¥à¤§à¤¨ पीठ, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥‚ दरà¥à¤¶à¤¨ के गूॠरहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का संदेश देते हैं। ये दिवà¥à¤¯ मठसेवा, साधना, सदà¤à¤¾à¤µ और समरसता का अदà¥à¤à¥à¤¤ संगम हंै। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ तमाम विविधताओं से यà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤• करने में अहम à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥€à¥¤ बात चाहे à¤à¤•à¤¤à¤¾ की हो या à¤à¤•à¤°à¥‚पता की हो या परम सतà¥à¤¤à¤¾ से à¤à¤•à¤¤à¤¾ की बात हो उन सब के लिये वेदानà¥à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सूतà¥à¤° समाहित हंै उन दिवà¥à¤¯ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ जीवन में आगे बà¥à¥‡ तो आपस की सारी दीवारों और मतà¤à¥‡à¤¦à¥‹à¤‚ को समापà¥à¤¤ किया जा सकता हैं।