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पौड़ी के साडा गांव स्थित 15 वां वित योजना के अंतर्गत प्राकृतिक जल स्त्रोत का जिर्णोद्वार


जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन के तहत विकासखंड कोट के कोटसाडा गांव स्थित 15 वां वित योजना के अंतर्गत प्राकृतिक जल स्त्रोत का जिर्णोद्वार विकासखंड कार्यालय कोट द्वारा किया गया। जिलाधिकारी डॉ0 विजय कुमार जोगदण्डे ने अपने स्थलीय भ्रमण के दौरान जल स्त्रोत का निरीक्षण किया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

पौड़ी /दिनांक 01 अप्रैल, 2022, जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन के तहत विकासखंड कोट के कोटसाडा गांव स्थित 15 वां वित योजना के अंतर्गत प्राकृतिक जल स्त्रोत का जिर्णोद्वार विकासखंड कार्यालय कोट द्वारा किया गया। जिलाधिकारी डॉ0 विजय कुमार जोगदण्डे ने अपने स्थलीय भ्रमण के दौरान जल स्त्रोत का निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित विभाग की सराहना करते हुए कहा कि अन्य स्थानों में भी इस तरह के कार्यो को करें। जिससे स्थानीय लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल तथा कृषि के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। कहा कि समस्त विकासखंडो में भी इस तरह की कार्ययोजना तैयार की जाएगी तथा उसमें जल संवर्द्धन का कार्य तेजी से किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में ऐसे प्राकृतिक स्त्रोतों का जिर्णोद्वार कर उसे एक नये रूप में विकसित किया जाएगा। जिससे स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल मिल सकेगा। कहा कि पर्यटन की दृष्टि से भी जल संवर्द्धन का कार्य किया जा रहा है तथा उस स्थान में पेयजल के साथ ही पौधों का रोपण भी किया जाएगा। जिससे स्थानीय लोग तथा बाहर से आने वाले पर्यटक वहां लुफ्त उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि जनपद के समस्त विकासखंड़ों में प्राकृतिक जल स्त्रोतों का संवर्द्धन व संरक्षण के लिए जीआईएस मैपिंग तथा उसके बाद कार्ययोजना तैयार कर कार्य किया जाएगा। जिससे स्थानीय लोग अपने खेतों में भी सिचांई कर सकेंगे। कनिष्ठ अभियंता लघु सिचांई अनिल कुमार त्रिपुरी ने बताया कि 15 वित योजना के अंतर्गत लगभग 01 लाख 65 हजार की लागत से जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि कोट ब्लाक के कोटसाड़ा गांव में पिछले लंबे समय से प्राकृतिक स्त्रोत का पानी धीरे-धीरे कम होता जा रहा था इसी बीच उस पेयजल स्त्रोत का जिर्णोद्वार करने के लिए कार्ययोजना बनाई गयी। कहा कि पानी को संरक्षित करने के लिए टैंक बनाया गया, जिसमें पर्याप्त मात्रा में पानी एकत्रित होता है। जिससे कोटसाडा गांव के आस-पास गांवों को भी काफी फायदा मिला है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्राकृतिक स्त्रोतों का चयन किया जा रहा है तथा उसपे भी इसी रूप में कार्य किया जाएगा, जिससे पानी बर्बाद होने से बच सकेगा तथा लोगों कोे पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

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