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जल चेतना को जन चेतना एवं जल आंदोलन को जन आंदोलन बनाये - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


वैश्विक स्तर पर आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय खदान जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 8 दिसंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय खदान दिवस मनाने की घोषणा की थी।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश। वैश्विक स्तर पर आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय खदान जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 8 दिसंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय खदान दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य खदान सुरक्षा के प्रति जनसमुदाय को जागरूक करना है। यूनाइटेड नेशंस द्वारा वर्ष 2022 की थीम ‘सेफ ग्राउंड, सेफ स्टेप्स, सेफ होम’ (सुरक्षित जमीन, सुरक्षित कदम, सुरक्षित घर) रखी गयी है। परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि खदानों के प्रति जागरूकता के साथ सभी को नदियों में हो रहे खनन के प्रति भी जागरूक होना होगा। नदियों में रेत-खनन से न केवल नदियों को नुकसान होता है बल्कि पर्यावरण को भी क्षति होती है। नदियों में व्याप्त रेत खनन से नदियों का अपना तंत्र प्रभावित होता है जिससे नदियों की खाद्य-श्रृंखला को गंभीर नुकसान होता है। साथ ही नदी की जैव-विविधता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्राकृतिक रूप से जल को शुद्ध करने में रेत की बड़ी भूमिका होती है। रेत खनन के कारण नदियों की स्वतः जल को साफ करने की क्षमता प्रभावित होती है तथा निकटवर्ती क्षेत्रों का भू-जल स्तर अत्यधिक प्रभावित होता है और प्रदूषित भी होता है एवं नदियों का प्रवाह-पथ प्रभावित होता है। इससे भू-कटाव बढ़ने से भूस्खलन जैसी आपदाओं में वृद्धि हो सकती है। स्वामी जी ने कहा कि 21 वीं सदी में जल समस्या इतने व्यापक स्तर पर है कि प्रयासों को और तीव्र व व्यापक करने की जरूरत है क्योंकि जल समस्या व्यक्तिगत नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है अतः समाधान भी वैश्विक स्तर पर होने चाहिये। जल वैज्ञानिक यह घोषणा कर रहे हैं कि भारत में 2030 तक भूजल स्तर वर्तमान समय से आधा हो सकता है और 2040 तक विश्व का भूजल स्तर भी तीव्र वेग से कम आशंका जतायी जा रही है इसलिये हमें प्रयास भी क्रान्ति के रूप में करने होंगे। जल के बिना सृष्टि पर किसी भी जीव के जीवन की कल्पना करना असंभव है अतः जल के संरक्षण के लिये तकनीकी, मार्गदर्शन, सहकारिता और जनसहभागिता की जरूरत है। जल का अशुद्ध होना प्रकृति प्रदत्त समस्या नहीं मानव निर्मित समस्या है अतः तकनीकी के साथ साथ जन जागरूकता भी अत्यंत आवश्यक है इसलिये जल संरक्षण को जन संरक्षण बनाना होगा जल क्रान्ति को जन क्रान्ति बनाना होगा।

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