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एम्स में प्रो.वर्तिका सक्सेना की देखरेख में वेबिनार का आयोजन किया


एम्स में सीएफएम विभाग की ओर से विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 मनाया गया, जिसके तहत विभागाध्यक्ष प्रो.वर्तिका सक्सेना की देखरेख में वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बेहतर व स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन पर जोर दिया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

एम्स में सीएफएम विभाग की ओर से विश्व स्वास्थ्य दिवस 2022 मनाया गया, जिसके तहत विभागाध्यक्ष प्रो.वर्तिका सक्सेना की देखरेख में वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बेहतर व स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन पर जोर दिया। शुक्रवार को विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एम्स के कम्यूनिटी एवं फेमिली मेडिसिन विभाग की ओर से इस वर्ष की थीम अवर प्लानेट अवर हैल्थ( हमारा ग्रह हमारा स्वास्थ्य) विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एम्स निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी ने अक्षय ऊर्जा सोलर एनर्जी के इस्तेमाल पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने स्वस्थ रहने के लिए स्थानीय उत्पादन खाद्य सामग्री के उपयोग करने को कहा है, कहा कि डिब्बा बंद भोजन किसी भी रूप में हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं है। संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के बावजूद हमारी हैल्थ पहले के मुकाबले बेहतर नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि हमारी जिंदगी लंबी जरुर हो गई है मगर जीवन की गुणवत्ता कम हुई है। डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं के इस्तेमाल का आह्वान किया,जिससे हमारी पृथ्वी पर जीवन बेहतर हो सके। सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना ने प्रतिभागियों को वर्ल्ड हैल्थ डे की थीम से अवगत कराया। इस दौरान उन्होंने क्लीन एनर्जी स्रोत पर व्याख्यान दिया। साथ ही पृथ्वी के बढ़ते तापमान पर चिंता जताई ,कहा कि इससे हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ पिघल रही है,जिससे हमारे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। प्रो. वर्तिका सक्सेना ने बताया कि हमारे समाज में प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी हद तक बढ़ गया है,जिसका हम आज के दौर में प्लास्टिक को खाने, पीने और सांस लेने के रूप में लगातार उपयोग में ला रहे हैं, उन्होंने आगाह किया कि जनस्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, इससे कई तरह के कैंसर की बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने बढ़ते शहरीकरण को वनों के लिए खतरनाक बताया जिससे मानव वन्यजीव संघर्ष के साथ साथ वन्य जीवों से मनुष्य में फैलने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है । डीन एग्जामिनेशन प्रो. जया चतुर्वेदी ने लगातार मौसमी परिवर्तन पर चिंता जताई, उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज को सामुहिक प्रयासों से पूर्व की भांति यथावत अवस्था में लाया जा सकता है, मगर इसके लिए सभी को सामुहिकरूप से प्रयास करने होंगे। गेस्ट स्पीकर डा. एके विद्यार्थी ने भारत सरकार के सबको स्वच्छ पानी मिलने को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डा. साईंनाथ बनर्जी ने शहरी इलाकों में हैल्थ स्टेटस की चुनौतियों पर व्याख्यान दिया। डा. मंजीत सिंह सलूजा ने कहा कि लोगों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं क्लाइमेट रेजिलिएंट होनी चाहिंए। वेबिनार में सीएफएम विभाग के डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. संतोष कुमार, डा. मीनाक्षी खापरे, डा. स्मिता सिन्हा, डा. महेंद्र सिंह, डा. अजीत सिंह भदौरिया, डा. योगेश बहुरुपी आदि संकायगण मौजूद थे।

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