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सतत विकास हम सब की साझा जिम्मेदारी हमारी धरती हमारा दायित्व - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय सेन्टर, नई दिल्ली में 19 और 20 अप्रैल को आयोजित दो दिवसीय विवेकानंद सस्टेनेबिलिटी समिट (राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन) में सहभाग कर सतत और सुरक्षित विकास सब की साझा जिम्मेदारी विषय पर उद्बोधन दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 20 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने डॉ अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय सेन्टर, नई दिल्ली में 19 और 20 अप्रैल को आयोजित दो दिवसीय विवेकानंद सस्टेनेबिलिटी समिट (राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन) में सहभाग कर सतत और सुरक्षित विकास सब की साझा जिम्मेदारी विषय पर उद्बोधन दिया। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सतत विकास के लिये राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्य कर रहे वैज्ञानिकों, संगठनों, शोधार्थियों और शोध संस्थानों और विशिष्ट हस्तियों को रूद्राक्ष का पौधा और प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। परमार्थ निकेेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज समापन अवसर पर कहा कि हमारे पास वैश्विक स्तर पर लैंड शॉर्टेज, फूड शॉर्टेज, वॉटर शॉर्टेज नहीं है बल्कि अगर शाॅर्टेज है तो वह है कांशसनेस शाॅर्टेज, बस उसी चेतना को जगाना है। जब भी खाये, जो भी खाये या जो भी खरीदे पहले सोचें क्या ये जरूरी है? क्या मैं इसके बिना जिन्दा रह सकता हूँ? हमें अपने खाने, रहने, जीने का तरीका और लाइफस्टाइल में चेंज करना होगा। स्वामी जी ने कहा कि सतत विकास हम सब की साझा जिम्मेदारी है। हमारी धरती हमारा दायित्व है इसलिये हमें संवेदनशीलता; विश्वसनियता और उत्कृष्टता के साथ कार्य करना होगा। ‘‘माता भूमि पुत्रोहं पृथिव्या” हम सब माता धरती माता की संतानें हैं। माता है तो संतानें हैं; माता बचेगी तो संतान बचेगी; संस्कृति, संतति, सम्पति, प्रकृति बचेगी और तभी समृद्धि भी आयेगी। स्वामी जी ने विख्यात पर्यावरणविद् वंदना शिवा जी का भी अभिनन्दन किया। अभूतपूर्व भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन जी ने सारगर्भित उद्बोधन दिया और उपस्थित सभी को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कराते हुये कहा कि पर्यावरण बचेगा तो हम बचेंगे, पर्यावरण हम सभी की प्राथमिकता हो आदि अनेक उत्कृष्ट विचार व्यक्त किये। जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने विवेकानंद सस्टेनेबिलिटी समिट के दूसरे दिन आध्यात्मिक परम्परा एवं सतत विकास के लिये भारतीय जीवन शैली का महत्व विषय पर उद्बोधन दिया। मानवीय गतिविधियों और औद्योगिक क्रांति के कारण तेजी से बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के कारण सिकुड़ते ग्लेशियर, बढ़ता तापमान, बदलता मानसून, पानी की कमी, पहाड़ों पर हो रहा जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण, प्राकृतिक संपदाओं के अत्यधिक दोहन के कारण प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ता जा रहा है जो हमारे वर्तमान और भविष्य दोनों के लिये खतरनाक है इसलिये हमें बाय लोकल और बी वोकल, फाॅर लोकल बनना होगा। हमें आर्गेनिक और लोकल वस्तुओं पर फोकस करना होगा तभी प्रदूषण रूकेगा।

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