हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के लकà¥à¤·à¤£: बोलते समय ठीक तरह से अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ को न बोल पाना तथा रà¥à¤•-रà¥à¤•à¤•à¤° बोलना, तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ या हकलाने का रोग कहलाता है। कà¥à¤› रोगियों में तो हकलाहट जरा सी होती है, जो धीरे-धीरे अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन कà¥à¤› मामलों में जब यह रोग पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ हो जाता है तो रोगी को बोलने में बहà¥à¤¤ परेशानी होती है।
रिपोर्ट - वैध दीपक कà¥à¤®à¤¾à¤°
यह रोग उन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ हो जाता है जो à¤à¤• हकलाने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की नकल करते रहते हैं। हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के लकà¥à¤·à¤£: बोलते समय ठीक तरह से अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ को न बोल पाना तथा रà¥à¤•-रà¥à¤•à¤•à¤° बोलना, तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ या हकलाने का रोग कहलाता है। कà¥à¤› रोगियों में तो हकलाहट जरा सी होती है, जो धीरे-धीरे अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन कà¥à¤› मामलों में जब यह रोग पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ हो जाता है तो रोगी को बोलने में बहà¥à¤¤ परेशानी होती है। हकलाना तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ का कारण: जब किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पेशियों तथा0सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥à¤“ं का नियंतà¥à¤°à¤£ दोषपूरà¥à¤£ हो जाता है तो वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बोलते समय शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ ठीक तरह से नहीं कर पाता है और वह रà¥à¤•-रà¥à¤•à¤•à¤° बोलने लगता है। इस रोग के हो जाने के कारण रोगी की जीठऔर होठों की आवशà¥à¤¯à¤• गतिशीलता जो बोलने में उपयोग होती है तथा कठिनाई से पूरी होती है। इसके साथ ही सà¥à¤µà¤° यंतà¥à¤° में आवाज पैदा हो जाती है जिसके कारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ लगता है। हकलाने के रोग में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को हर शबà¥à¤¦ में तो नहीं पर कà¥à¤› शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को बोलने में परेशानी होती है। हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ से उपचार : •यदि कोई बचà¥à¤šà¤¾ हकलाने या तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के रोग से पीड़ित है तो उसके रोग को ठीक करने के लिà¤, उसे कà¥à¤› दिनों तक आंवला चबाने के लिठदेना चाहिà¤à¥¤ जिसके फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प रोगी की जीठपतली होकर उसकी आवाज साफ निकलने लगती है। •इस रोग से पीड़ित रोगी को सà¥à¤¬à¤¹ के समय में 10 à¤à¤¿à¤—ोठहà¥à¤ बादाम को छीलकर और पीसकर मकà¥à¤–न, मिशà¥à¤°à¥€ के साथ सेवन करना चाहिà¤à¥¤ इससे यह रोग कà¥à¤› ही दिनों में ठीक हो जाता है। रोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यदि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ 10 कालीमिरà¥à¤š के दाने और बादाम की गिरी को पीसकर मिशà¥à¤°à¥€ में मिलाकर चाटे तो उसका तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ तथा हकलाने का रोग ठीक हो जाता है। रोजाना गाय के घी में आंवले का चूरà¥à¤£ मिलाकर चाटने से à¤à¥€ तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ तथा हकलाना दूर हो जाता है। छà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ को दूध में उबालकर और चबाकर खा ले तथा इसके बाद दूध पी लें। इसके बाद दो घंटे तक कà¥à¤› नहीं खाना चाहिà¤à¥¤ इससे आवाज बिलकà¥à¤² साफ हो जाती है। यह कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कà¥à¤› दिनों तक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ करने से रोगी का तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ तथा हकलाना ठीक हो जाता है। तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ तथा हकलाने का पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ से उपचार करने के लिठरोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को कà¥à¤› दिनों तक फलों का रस (गाजर, सेब, चà¥à¤•à¤¨à¥à¤¦à¤°, अननà¥à¤¨à¤¾à¤¸, संतरा) पीकर उपवास रखना चाहिà¤à¥¤ इसके बाद कà¥à¤› दिनों तक रोगी को फल, सबà¥à¤œà¥€, अंकà¥à¤°à¤¿à¤¤ दाल का सेवन करना चाहिà¤à¥¤ इससे रोगी को बहà¥à¤¤ लाठमिलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को à¤à¥‹à¤œà¤¨ में कॉफी, चाय, मैदा, रिफाइणà¥à¤¡, चीनी, डिबà¥à¤¬à¤¾à¤¬à¤‚द खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन नहीं करना चाहिà¤à¥¤ सोयाबीन को दूध में डालकर उसमें शहद मिलाकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सेवन करने से सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥ की सूजन ठीक हो जाती है। इससे हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ का रोग बिलà¥à¤•à¥à¤² ठीक हो जाता है। पानी में नमक डालकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से रोगी का तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ तथा हकलाने का रोग दूर हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को सà¥à¤¬à¤¹ के समय में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ नियमित रà¥à¤ª से कोई हलà¥à¤•à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® करना चाहिà¤, जिससे सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥ को शकà¥à¤¤à¤¿ मिल सके और वह सही तरीके से अपना कारà¥à¤¯ कर सके। इस रोग से पीड़ित रोगी को सà¥à¤¬à¤¹ तथा शाम के समय में खà¥à¤²à¥€ हवा में टहलने से बहà¥à¤¤ अधिक लाठमिलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को गहरी नींद लेनी चाहिठतथा कम से कम 7-8 घंटे तक सोना चाहिà¤à¥¤ इस रोग से पीड़ित रोगी को पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ से उपचार कराते समय अपनी सà¤à¥€ मानसिक परेशानियों, à¤à¤¯, चिंता आदि को दूर कर देना चाहिà¤à¥¤ यदि रोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ किसी कारà¥à¤¯ को करते समय जलà¥à¤¦à¥€ थक जाता हो तो उसे वह कारà¥à¤¯ नही करना चाहिà¤à¥¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ शà¥à¤·à¥à¤•à¤˜à¤°à¥à¤·à¤£ आसन करने तथा इसके बाद साधारण सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ का रोग जलà¥à¤¦à¥€ ही ठीक हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को à¤à¤—ड़ा-à¤à¤‚à¤à¤Ÿ, वैवाहिक जीवन की असंगति, पारिवारिक कà¥à¤²à¥‡à¤¶, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• कठिनाइयां, पà¥à¤°à¥‡à¤® समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ निराशा, यौन समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ कà¥à¤¸à¤‚योजन तथा कà¥à¤°à¥‹à¤§, à¤à¤¯ आदि मानसिक कारणों से दूर रहना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन सà¤à¥€ कारणों से रोग की अवसà¥à¤¥à¤¾ और à¤à¥€ गमà¥à¤à¥€à¤° हो सकती है। शहद में कालीमिरà¥à¤š मिलाकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ चाटने से हकलाना तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ ठीक हो जाता है। रात को सोते समय à¤à¥à¤¨à¥€ हà¥à¤ˆ फिटकरी को मà¥à¤‚ह में रखकर सो जाà¤à¤‚ और सà¥à¤¬à¤¹ के समय में उठकर कà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ कर लें। इस कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को लगà¤à¤— à¤à¤• महीने तक करने से हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ का रोग ठीक हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को खाना खाने के बाद अपने मà¥à¤‚ह में छोटी इलायची तथा लौंग रखनी चाहिठतथा जीठको पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ साफ करना चाहिठऔर यदि कबà¥à¤œ की शिकायत हो तो उसे दूर करना चाहिà¤à¥¤ हकलाने और तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के रोग से पीड़ित रोगी को मन से à¤à¤¯ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बिलà¥à¤•à¥à¤² निकाल देनी चाहिठतथा मन को सबल बनाना चाहिà¤à¥¤ इस रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में शंख में पानी à¤à¤°à¤•à¤° फिर सà¥à¤¬à¤¹ के समय में उठकर उस पानी को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पीने से यह रोग ठीक हो जाता है। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ à¤à¤¨à¤¿à¤®à¤¾ लेने से तथा इसके बाद गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥‡ पानी से गरारा करने से रोगी का गला साफ हो जाता है और उसका तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ तथा हकलाना बंद हो जाता है। जबड़ों की पेशियों के कड़ेपन और होठों की गतिमनà¥à¤¦à¤¤à¤¾ के कारण à¤à¥€ हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ का रोग हो जाता है, इसलिठरोग का उपचार करने के लिठरोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपने हाथ की तरà¥à¤œà¤¨à¥€ उंगà¥à¤²à¥€ को मà¥à¤‚ह में डालकर नीचे के जबड़े को धीरे-धीरे नीचे की ओर ले जाना चाहिà¤à¥¤ इसके बाद पेशियों को ढीला छोड़ देना चाहिà¤, जिससे जबड़ा अपने ही à¤à¤¾à¤° से नीचे की ओर चला जाà¤à¥¤ जब यह कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कर रहे हो उस समय गले में कोई गति नहीं होनी चाहिà¤à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ करने से यह रोग कà¥à¤› ही दिनों में ठीक हो जाता है। हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के रोग को ठीक करने के लिठरोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को à¤à¤• कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर लिटाकर शरीर को सीधा तथा ढीला छोड़ देना चाहिà¤à¥¤ उसके बाद चेहरे की पेशियों को ढीली करके जबड़े को नीचे गिरने देना चाहिà¤à¥¤ इस अवसà¥à¤¥à¤¾ में रोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपनी जीठमà¥à¤‚ह की तली से सटाकर रखनी चाहिà¤à¥¤ इस वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ करने से यह रोग कà¥à¤› ही दिनों में ठीक हो जाता है। रोगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपने मà¥à¤‚ह की पेशियों को ठीक करने के लिठपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ शीशे के सामने 15 मिनट तक खड़े होकर या बैठकर जोर-जोर से कà¥à¤› पà¥à¤¨à¤¾ चाहिठऔर उस समय गहरी सांस लेनी चाहिà¤à¥¤ रोगी को पà¥à¤¤à¥‡ समय पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शबà¥à¤¦ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ सही करने की कोशिश करनी चाहिà¤à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उपचार पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ करने से कà¥à¤› ही दिनों में हकलाने तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ का रोग ठीक हो जाता है। इस रोग को ठीक करने के लिठकई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के आसन हैं। इन आसनों के करने से हकलाना तथा तà¥à¤¤à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ ठीक हो जाता है। ये आसन इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हैं- उषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¨, हलासन, मणà¥à¤¡à¥‚कासन, मतà¥à¤¸à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¨, सà¥à¤ªà¥à¤¤à¤µà¤œà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¨, जानà¥à¤¶à¥€à¤°à¥à¤·à¤¾à¤¸à¤¨, सिंहासन, धà¥à¤¨à¤°à¤¾à¤¸à¤¨ तथा खेचरी मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ आदि। किसी à¤à¥€ ठीक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को हकलाने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की नकल नहीं करनी चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¸à¤¾ करने से उसे à¤à¥€ हकलाने की आदत पड़ सकती है। Dr.(Vaid) Deepak Kumar Adarsh Ayurvedic Pharmacy Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com 9897902760