‘अरे, रामपाल! जा साहब को टेंपो पकड़ा दे। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आगे नहीं आà¤, पांच मिनट में पहà¥à¤‚च जाà¤à¤‚गे।‘‘ जी, à¤à¤¾à¤ˆ जी, कहकर कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने दंपति का सामान उतरवाया और टेंपो बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पीछे की ओर रवाना किया ताकि उस जगह पहà¥à¤‚च सकें, जहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उतरना था। कंडकà¥à¤Ÿà¤° और डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के बीच फिर संवाद हà¥à¤†-‘सवारी à¤à¥€ à¤à¤• से à¤à¤• बावली आवे रामपाल। उतरना कहां था, उतरे कहां!
रिपोर्ट - सà¥à¤¶à¥€à¤² उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯, 9997998050
बस में बमà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² सात-आठसवारी थीं। मेरे सवार होने से à¤à¤• नंबर और बॠगया। खिड़की पर पांव रखा ही था कि डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने लगà¤à¤— चेतावनी à¤à¤°à¥‡ अंदाज में कहा, जलà¥à¤¦à¥€ वाले न बैठें। बस अपनी रफà¥à¤¤à¤¾à¤° से चलेगी। हालांकि, मेरे दिमाग में ये सवाल था ही नहीं, फिर à¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने अगà¥à¤°à¤¿à¤® चेतावनी देकर मेरी उस उदà¥à¤µà¤¿à¤—à¥à¤¨à¤¤à¤¾ को शà¥à¤°à¥‚ होने से पहले ही खतà¥à¤® कर दिया जो बाद में पैदा हो सकती थी। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के सिर के सामने शीशे के ऊपर à¤à¥€ साफ-साफ लिखा हà¥à¤† था कि ‘जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जलà¥à¤¦à¥€ है, वे चले गठहैं।‘ इस दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• किसà¥à¤® के वाकà¥à¤¯ के साथ ही ये à¤à¥€ दरà¥à¤œ था, ‘देर से आप आठहैं, हम समय पर चल रहे हैं, जलà¥à¤¦à¥€ न करें, घर सà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¤ पहà¥à¤‚चेंगे।’ चूंकि, मà¥à¤à¥‡ काॅलेज से घर ही जाना था इसलिठकोई खास जलà¥à¤¦à¥€ नहीं थी। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के मिजाज और उसके आसपस लिखे ‘आपà¥à¤¤-वचनों’ के बाद ये बात à¤à¥€ मेरी समठमें ठीक से आ गई थी कि इस टूरिसà¥à¤Ÿ सीजन में जब हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°-देहरादून के बीच दौड़ने वाली बसों में पांव रखने की जगह नहीं है, तब इस बस में सवारियों की संखà¥à¤¯à¤¾ गिनी-चà¥à¤¨à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है! डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के अंदाज-à¤-बयां के अलावा उनका हाव-à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ खींच रहा था। उनके सिर ऊपर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€à¤œ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की सफेद रंग की टोपी सजी हà¥à¤ˆ थी जिस पर बड़े-बड़े शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में ‘ओम शांति’ लिखा हà¥à¤† था। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° की मूंछ जरूरत से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बड़ी थी, बलà¥à¤•à¤¿ ये कहना चाहिठकि दाà¥à¥€ को इस तरह सेट करवाया हà¥à¤† था कि मूंछों का आकार सामानà¥à¤¯ से अधिक लगे। इस तरह की मूंछ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ विà¤à¤¾à¤— में अकà¥à¤¸à¤° मिलती हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वहां मूंछ रखने के लिठअलग से 50 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ माहवार à¤à¤¤à¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ मिलता है, लेकिन परिवहन विà¤à¤¾à¤— में à¤à¤¸à¥€ कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है, इस बारे में मà¥à¤à¥‡ कोई जानकारी नहीं है। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° की मूछों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ डाकू वीरपà¥à¤ªà¤¨ से करना à¤à¥€ ठीक नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° असामाजिक आदमी नहीं था, अपनी डà¥à¤¯à¥‚टी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अतिरिकà¥à¤¤ रूप से सचेत था और उनके à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-मारà¥à¤—ी होने का à¤à¥€ साफ पता चल रहा था। बस की साफ-सफाई à¤à¥€ सामानà¥à¤¯ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी। ये मोरà¥à¤šà¤¾ कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने संà¤à¤¾à¤²à¤¾ हà¥à¤† था। जैसे ही कोई नई सवारी आती, कंडकà¥à¤Ÿà¤° ताकीद करता, बस में कोई कूड़ा नहीं डालेगा। खाने-पीने के बाद के कचरे को अपने पास संà¤à¤¾à¤²à¤•à¤° रखें, बाहर जाकर डाल दें। बसों में घूम-घूम के खाने-पीने और दूसरे सामान बेचने वालों की तो मजाल ही नहीं थी कि वे अंदर घà¥à¤¸ सकें। कंडकà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤—वे रंग की टी-शरà¥à¤Ÿ पहनी हà¥à¤ˆ थी, आजकल इसी रंग का फैशन है, जिस पर कई तरह के निशान दिख रहे थे। संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ बस को साफ-सà¥à¤¥à¤°à¤¾ रखने की कोशिश के दौरान उनका इस तरफ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही नहीं गया होगा। टी-शरà¥à¤Ÿ लगà¤à¤— शरà¥à¤®à¤¿à¤‚दा लग रही थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो कंडकà¥à¤Ÿà¤° के पेट को ठीक से ढक नहीं पा रही थी। नाà¤à¤¿ से थोड़ा ही नीचे तक ठिठकी हà¥à¤ˆ थी। उसके नीचे सफेद बनियान अपनी पूरी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के साथ पेट को उघड़ने से बचाने की कोशिश में लगा था। पेट इतना बड़ा था कि पैंट इस बात से डरी हà¥à¤ˆ थी कि कहीं वो अपनी जगह से डिग न जाà¤à¥¤ बेतरतीब बà¥à¥€ खिचड़ी दाà¥à¥€, उलà¤à¥‡ हà¥à¤ बाल और टीशरà¥à¤Ÿ से पूरह तरह मिस-मैच गमछा à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ छवि पेश कर रहा था कि उसके लिठकोई ठीक उपमा ढूंढना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² था। कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने जैसे ही सवारियों से संवाद शà¥à¤°à¥‚ किया था तो आवाज की मिठास और सलीके ने मà¥à¤à¥‡ फिर हैरत में डाल दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤•-à¤à¤• सवारी के पास जाकर पूरे इतà¥à¤®à¥€à¤¨à¤¾à¤¨ से टिकट बनाने का उपकà¥à¤°à¤® पूरा किया। ये सब कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® गाड़ी के रवाना होने से पहले पूरा हà¥à¤†à¥¤ फिर डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° की आवाज गूंजी- ‘चलैं, रामपाल!’ ‘जी, à¤à¤¾à¤ˆ जी, चलो।‘ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने पà¥à¤°-बà¥à¤²à¤‚द आवाज में ‘ओम शांति’ का उचà¥à¤šà¤¾à¤•à¤°à¤£ किया और बस चल पड़ी। à¤à¤¸à¤¾ लगा, जैसे ये बस 50 किलोमीटर की बजाय कई हजार किलोमीटर की दूरी के लिठरवाना हà¥à¤ˆ है। इसके बाद रासà¥à¤¤à¥‡ में यदि किसी ने अपने घर के बाहर खडे़ होकर à¤à¥€ बस को हाथ दे दिया तो डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने वहीं बस रोक ली। सवारियों का कà¥à¥à¤¨à¤¾ अपनी जगह जायज था, लेकिन दोनों इतने à¤à¤²à¥‡ थे कि जिसने जहां कहा, वहीं बस रोकी। चाहे सवारी बैठानी हों या उतारनी हों। हालांकि, दोनों के मूल वाकà¥à¤¯ नहीं बदले कि जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¥€ न करें और बस को गंदा न करें। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के ठीक पीछे बैठे à¤à¤• दंपति इस बात से नाखà¥à¤¶ थे कि जो दूरी लगà¤à¤— à¤à¤• घंटे में तय होनी थी उसमें दो घंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वकà¥à¤¤ लगने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बन रही थीं। दंपति ने जैसे ही बस की गति के बारे में कà¥à¤› कहा, डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस रोकी और दो से तीन मिनट तक उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि बस तेज गति से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं चलाई जाà¤à¤—ी। इस उलà¤à¤¨ में दंपति उस जगह से काफी आगे आ गया, जहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उतरना था। वे नाराज होते इससे पहले डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस को सड़क किनारे रोककर कंडकà¥à¤Ÿà¤° को संबोधित किया- ‘अरे, रामपाल! जा साहब को टेंपो पकड़ा दे। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आगे नहीं आà¤, पांच मिनट में पहà¥à¤‚च जाà¤à¤‚गे।‘‘ जी, à¤à¤¾à¤ˆ जी, कहकर कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने दंपति का सामान उतरवाया और टेंपो बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पीछे की ओर रवाना किया ताकि उस जगह पहà¥à¤‚च सकें, जहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उतरना था। कंडकà¥à¤Ÿà¤° और डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के बीच फिर संवाद हà¥à¤†-‘सवारी à¤à¥€ à¤à¤• से à¤à¤• बावली आवे रामपाल। उतरना कहां था, उतरे कहां! ‘‘यू तो रोज का ही काम है à¤à¤¾à¤ˆ जी!‘ कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने जवाब दिया। फिर दोनों हंस पड़े। आखिरकार बस देहरादून शहर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गई। सवारियों में मंजिल पर पहà¥à¤‚चने की खà¥à¤¶à¥€ रही होगी, à¤à¤¸à¤¾ मà¥à¤à¥‡ लगा। जब मैं उतर रहा था तो कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने चेताया-‘जलà¥à¤¦à¥€ न करो। बस कहीं उड़ी नहीं जा रही है। गिर जाओगे, चोट लग जाà¤à¤—ी।‘à¤à¤• पल के लिठगà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आया, लेकिन फिर मैंने दोनों को देखा और गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ हवा हो गया। और लगा, पातà¥à¤° ढूंढने के लिठकहीं बाहर नहीं जाना होता, वे हमारे आसपास ही होते हैं। लगà¤à¤— बगल में बैठे हà¥à¤à¥¤