Latest News

नेचर, कल्चर और फ्यूचर को सुरक्षित रखने के लिये कपडे़ व पेपर के बैग बेहतर विकल्प - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


पेपर बैग डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ईको फे्रडली बैग, पेपर बैग, कपडे़ के बैग और बायोडिग्रेडेबल बैग का उपयोग करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अपनी धरती, जलस्रोतों और भावी पीढ़ियों को बचाना है तो सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूर्ण रूप से बंद करना होगा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

12 जुलाई, ऋषिकेश। पेपर बैग डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ईको फे्रडली बैग, पेपर बैग, कपडे़ के बैग और बायोडिग्रेडेबल बैग का उपयोग करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अपनी धरती, जलस्रोतों और भावी पीढ़ियों को बचाना है तो सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूर्ण रूप से बंद करना होगा। केंद्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया है। ये पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अद्भुत कदम है। ज्ञात हो कि हमारे दैनिक कचरे का 90 प्रतिशत हिस्सा सिंगल यूज प्लास्टिक होता है। सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाकर अपना काम कर दिया है अब हमारी बारी है कि हम इसे प्रतिबद्धता से लागू करंे और पेपर बैग व कपडे़ के बैग को बढ़ावा दें। इससे प्रदूषण तो कम होगा ही साथ साथ रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नेचर, कल्चर और फ्यूचर को सुरक्षित रखने के लिये कपडे़ व पेपर के बैग बेहतर विकल्प सिद्ध हो सकते है, इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता परन्तु पेपर बैग के ज्यादा उपयोग से डिफाॅरेस्टेशन का खतरा उत्पन्न हो सकता है। पेपर बैग, पेडों के पल्प से बनाये जाते हंै, जितने ज्यादा पेपर बैग बनेंगे उतनी ज्यादा मात्रा में पेड़ों को काटा जायेगा जबकि पेड़ तो धरती के फेफड़े हैं इसलिये कपड़े के बैग को ही जीवन का हिस्सा बनाना होगा। स्वामी जी ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों को अपनाना नितांत अवश्यक है। कपड़े व पेपर के बैग का उपयोग करना पर्यावरण अनुकुल है। आईये संकल्प लें कि हम पेपर बैग या कपड़ों के बैग का ही उपयोग करेंगे। प्रतिवर्ष 12 जुलाई को पेपर बैग डे मनाया जाता है ताकि दुनिया में बढ़ता प्रदूषण और प्लास्टिक का कचरा कम हो। आज का दिन सभी को पेपर बैग के प्रति जागरूक करने हेेतु मनाया जाता है। पेपर बैग, इको फ्रेंडली, प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल होते हैं इसलिये इसका उपयोग कर हम नेचर, कल्चर और फ्यूचर को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

Related Post