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सबल सद्गुरु ही शिष्य का कायाकल्प कर सकता है : डॉ पण्ड्या


अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि तप और उर्जा से सबल सद्गुरु ही अपने शिष्यों का कायाकल्प कर सकता है। जिस तरह गायत्री के परिवार के संस्थापक पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्यश्री ने मात्र १५ वर्ष की आयु से कठोर तप, साधना और आहार संयम के माध्यम से अपने आपको वज्र जैसा बनाया, उसके बाद ही उन्होंने गुरुदीक्षा देना प्रारंभ किया था।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार १३ जुलाई। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि तप और उर्जा से सबल सद्गुरु ही अपने शिष्यों का कायाकल्प कर सकता है। जिस तरह गायत्री के परिवार के संस्थापक पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्यश्री ने मात्र १५ वर्ष की आयु से कठोर तप, साधना और आहार संयम के माध्यम से अपने आपको वज्र जैसा बनाया, उसके बाद ही उन्होंने गुरुदीक्षा देना प्रारंभ किया था। आचार्यश्री से दीक्षित होकर लाखों, करोडो व्यक्तियों ने अपने में आमूलचूल परिवर्तन पाया है। श्रद्धेय डॉ पण्ड्या शांतिकुंज में गुरुपूर्णिमा पर्व मनाने देश-विदेश से आये गायत्री साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन की सार्थकता ज्ञान के बिना अधुरा है। ज्ञान की दो धाराएं प्रज्ञा एवं श्रद्धा से युक्त सद्गुरु ही अपने शिष्यों के जीवन को सार्थक करता है। ज्ञानवान व श्रद्धावान व्यक्तियों को ही समाज अपना आदर्श मानता है और उनके बताये कार्ययोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करता है। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री प्रज्ञा की प्रखरता एवं श्रद्धा से ओतप्रोत थे। यही कारण है कि लाखों करोडो शिष्य उनके कार्यों को आगे बढ़ाने में एक साथ जुटे हैं। उन्होंने प्राचीनकाल के सद्गुरुओं का उदाहरण देते हुए लोगों की श्रद्धा भावना को सकारात्मक दिशा की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर नारी सशक्तिकरण के प्रणेता माता भगवती देवी शर्मा की जन्म शताब्दी वर्ष १९२६ को उत्साह के साथ मनाने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने माताजी के बताये नारी सशक्तिकरण की योजनाओं को विस्तृत रूप देने में अपनी भागीदारी सुनिश्çिचत करने लिए संकल्पित कराया।

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