à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ को अपने पैरों तले कà¥à¤šà¤²à¤•à¤° वैलेंटाइन डे मनाने वालों को अपने देश के तिथि तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° तक नही पता होते, सà¥à¤¬à¤¹ उठकर अपने माता पिता के पैर छूना नही याद होगा।
रिपोर्ट - सचिन तिवारी
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ को अपने पैरों तले कà¥à¤šà¤²à¤•à¤° वैलेंटाइन डे मनाने वालों को अपने देश के तिथि तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° तक नही पता होते, सà¥à¤¬à¤¹ उठकर अपने माता पिता के पैर छूना नही याद होगा लेकिन गरà¥à¤²à¤«à¥à¤°à¥ˆà¤‚ड का हाथ चूमना नही à¤à¥‚लते, घर में माठपà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ साड़ी में काम चला रही होगी लेकिन गरà¥à¤²à¤«à¥à¤°à¥ˆà¤‚ड को महà¤à¤—ी डà¥à¤°à¥‡à¤¸ दिलाना नही à¤à¥‚लते, अगर आज इस देश की यह हालत हà¥à¤ˆ है तो इसमें जहाठ30 % लड़कों का योगदान है तो वहीं 70% लड़कियों का, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अगर कोई लड़की à¤à¤¾à¤µ न दे तो किसी लड़के की हिमà¥à¤®à¤¤ नही उससे बात कर ले, लेकिन लड़कियों के घूमने और à¤à¤¶ बाजी के इस चसà¥à¤•à¥‡ ने पूरे समाज को नगà¥à¤¨à¤¤à¤¾ का बाजार बना दिया, लड़कियों को देवी और औरतों को माठका पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देकर पूजने वाला यह देश अगर आज उनको कामà¥à¤•à¤¤à¤¾ à¤à¤°à¥€ नजरों से देखता है तो इसमें कही न कही उतना ही वो à¤à¥€ दोषी हैं जितना कि समाज । संयà¥à¤•à¥à¤¤ परिवार से à¤à¤•à¤² परिवार में रहना अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को समय न देकर अपने काम और अपनी à¤à¤¶à¥‹ आराम में पड़े रहना अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤•à¥‹à¤‚ की सबसे बड़ी कमी है, जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संसà¥à¤•à¤¾à¤° देने का समय होता है तब उनको सनी लियोनी के गाने पर कैसे डांस करें यह सिखाया जाता है, जब से माठमोम और पिताजी डैड, और à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ बà¥à¤°à¥‹ गठतब से इस देश की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ खतà¥à¤® हो गई, जब से रही हो का रही है, और रहे हो का रहा है हो गया तब से à¤à¤• दूसरे के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ खतà¥à¤® हो गया । जब से इस देश मे रामायण महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ की जगह वेब सीरीज और हासà¥à¤¯ के नाम पर परोसी जा रही अशà¥à¤²à¥€à¤²à¤¤à¤¾ ने लिया तब से इस देश की आतà¥à¤®à¤¾ अपनी अंतिम सांसे ले रही है । हर देश की पहचान उसकी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ से होती है और जब इस देश की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ ही नही रही तो देश कहाठरहा, आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि कहाठहै à¤à¤¾à¤°à¤¤ ?