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हरिद्वार तीर्थ पुरोहितों का केदारनाथ गर्भ गृह स्वर्ण जणित करने पर विरोध


धार्मिक पहलू यह है की भगवान शिव भूतनाथ हैं उनको भस्म प्रिय है। रजत और स्वर्ण अन्य देवी-देवताओं के लिए प्रिय हो सकते हैं लेकिन भगवान शिव उससे इतर हैं। आपको याद होगा समुद्र मंथन के समय जब विभिन्न रत्न एवं द्रव्य उस मंथन से निकले तो भगवान शिव ने 'विष' को स्वीकार किया। वही आप देखते हैं दक्षिण के जितने भी मंदिर है तिरुपति बालाजी है, पद्मनाभ है, जगन्नाथ मंदिर है वहां पर स्वर्ण बहुतायत में चढ़ाया जाता है स्वर्ण भगवान विष्णु को प्रिय है अन्य प्रकार के आभूषण भी अन्य देवी-देवताओं को प्रिय है|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

उत्तराखंड के चार पवित्र धामों में से बाबा केदारनाथ धाम में गर्भ ग्रह को स्वर्ण जड़ित करने को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों का विरोध लगातार चल रहा है। इसमें हमारा ऐसा मानना है सरकार एवं स्थानीय प्रशासन को सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करना चाहिए। जो स्थानीय तीर्थ पुरोहित हैं उनको उस स्थान की पौराणिक महत्वता, परंपराएं, वहां होने वाली सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का भली-भांति जानकारी रहती है। इसलिए सरकार को कोई भी छेड़छाड़ करने से पूर्व सभी को विश्वास में लेना चाहिए। वही इसका धार्मिक पहलू यह है की भगवान शिव भूतनाथ हैं उनको भस्म प्रिय है। रजत और स्वर्ण अन्य देवी-देवताओं के लिए प्रिय हो सकते हैं लेकिन भगवान शिव उससे इतर हैं। आपको याद होगा समुद्र मंथन के समय जब विभिन्न रत्न एवं द्रव्य उस मंथन से निकले तो भगवान शिव ने 'विष' को स्वीकार किया। वही आप देखते हैं दक्षिण के जितने भी मंदिर है तिरुपति बालाजी है, पद्मनाभ है, जगन्नाथ मंदिर है वहां पर स्वर्ण बहुतायत में चढ़ाया जाता है स्वर्ण भगवान विष्णु को प्रिय है अन्य प्रकार के आभूषण भी अन्य देवी-देवताओं को प्रिय है इसलिए इन विषयों को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है। भगवान शिव के प्राचीन मंदिर में जिस प्रकार की उसकी भव्यता और पौराणिकता बनी हुई है वह बनी रहे।

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