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नवरात्र अनुष्ठान के दूसरे दिन कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने कहा भक्ति से मिलता है भगवान


डॉ पण्ड्या ने कहा कि भक्त (हनुमान जी) ने भक्ति (साधना) से अपने अंदर अतुलित शक्ति अर्जित की। मीरा, प्रहलाद आदि ने भगवान की भक्ति कर अपने अंदर विशेष ऊर्जा विकसित की। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने रावण के साथ युद्ध के दौरान आश्विन नवरात्र के दिनों में देवी माँ की पूजा अर्चना की थी और विशेष शक्तियाँ प्राप्त की थी। जो रावण को विध्वंस करने में कारगर सिद्ध हुईं। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ पण्ड्या ने भक्त और भक्ति के संदर्भ में विविध पौराणिक उदाहरणों के माध्यम से विस्तार से प्रकाश डाला।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 27 सितंबर। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भक्त की भक्ति से भगवान प्रसन्न होकर प्रकट होते हैं और भक्त की रक्षा करते हैं। मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। आश्विन नवरात्र का यह समय सर्वशक्तिमान माता की आराधना के लिए विशेष है। इस समय उनकी ऊर्जा घनीभूत होती है और जो साधक मनोयोगपूर्वक साधना करता है, उस पर उनकी कृपा बरसती है। डॉ पण्ड्या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में आयोजित आश्विन नवरात्र साधना सत्संग के दूसरे दिन गायत्री साधकों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर देसंविवि में अध्ययनरत विद्यार्थियों के साथ-साथ भारत सहित अमेरिका, नीदरलैण्ड, कनाडा, केन्या आदि देशों से आये साधक उपिस्थत रहे। इस अवसर पर रामायण के विभिन्न चौपाइयों का उल्लेख करते हुए डॉ पण्ड्या ने कहा कि भक्त (हनुमान जी) ने भक्ति (साधना) से अपने अंदर अतुलित शक्ति अर्जित की। मीरा, प्रहलाद आदि ने भगवान की भक्ति कर अपने अंदर विशेष ऊर्जा विकसित की। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने रावण के साथ युद्ध के दौरान आश्विन नवरात्र के दिनों में देवी माँ की पूजा अर्चना की थी और विशेष शक्तियाँ प्राप्त की थी। जो रावण को विध्वंस करने में कारगर सिद्ध हुईं। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ पण्ड्या ने भक्त और भक्ति के संदर्भ में विविध पौराणिक उदाहरणों के माध्यम से विस्तार से प्रकाश डाला। इससे पूर्व उन्होंने सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री माँ गायत्री और सद्गुरु युगऋषिद्वय पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। पश्चात जगतवन्दे मां ....... गीत प्रस्तुत कर संगीत विभाग के भाइयों ने उपस्थित साधकों के मन को भक्तिभाव में डूबो दिये। इस अवसर पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, कुलसचिव बलदाऊ देवांगन सहित देश विदेश से आये सैकड़ों साधक उपस्थित रहे।

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