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दस दिवसीय कार्यशाला के समापन


योग विज्ञान विभाग, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर योगिक साइंस, बेंगलुरु के सहयोग से रिसर्च मेथडोलॉजी पर चल रही दस दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर मुख्य अतिथि के रूप में अपना वक्तव्य देते हुए प्रो ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि यह भूमि सृजनशीलता का परिचायक रही है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

योग विज्ञान विभाग, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर योगिक साइंस, बेंगलुरु के सहयोग से रिसर्च मेथडोलॉजी पर चल रही दस दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर मुख्य अतिथि के रूप में अपना वक्तव्य देते हुए प्रो ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि यह भूमि सृजनशीलता का परिचायक रही है। यहां से ही सभी ज्ञान विज्ञान से संयुक्त ग्रंथों सूत्रों का अनावरण हुआ है। गंगा का किनारा, शिवालिक पहाड़ियों तलहटी पर स्थित यह पवित्र शिक्षा स्थल गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय योग एवं पारंपरिक विषयों में शोध अनुसन्धान के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसका वातावरण शोध अनुसन्धान की प्रेरणा प्रदान करने वाला है। शोध की गहराइयों, कठिनाइयों, नए विषयों को जानने, समझने, नवीन ज्ञान को उद्घाटित करने की विधियों का व्यवहारिक प्रशिक्षण निश्चय ही शिक्षकों, अनुसंधताओं का मार्गदर्शन करेगा। आप जितना अधिक इस विषय में सिद्धहस्तता हासिल होगी उतना विषय का विस्तार होता चला जाएगा। आज तर्क और तथ्य पर आधारित अनुसंधानों के निष्कर्ष ही प्रकाशन योग्य होते हैं। भारतीय परंपराओं को पुष्ट करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए शोध आवश्यक है। हमारी संस्कृति, साहित्य जो विज्ञान आधारित है। वर्तमान विज्ञान के अनुरूप परिभाषित करने का यह सुनहरा अवसर है। इस अवसर पर योग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं कार्यशाला के निदेशक प्रो सुरेंद्र कुमार ने कहा कि योग विषय का सभी विषयों के साथ उसका अंतरविषयक संबंध है। इसका किसी भी विषय के साथ अनुसंधान संपन्न किया जा सकता है। बिना योग किए हम मन, बुद्धि की क्षमता का पूर्ण इस्तेमाल नहीं कर सकते।अतः अंतः प्रज्ञा का जागरण होना ही वह स्थिति है जब हम किसी समस्या का नवीनतम समाधान खोजते हैं।

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