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भगवान महावीर के शान्तिदूतों का गुणानुवाद महोत्सव


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती को विश्व अहिंसा समिट-2024 मुम्बई में आशीर्वाद एवं ‘वैश्विक शान्ति’ पर उद्बोधन हेतु विशेष रूप से आमंत्रित किया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

मुम्बई, 2 मार्च। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती को विश्व अहिंसा समिट-2024 मुम्बई में आशीर्वाद एवं ‘वैश्विक शान्ति’ पर उद्बोधन हेतु विशेष रूप से आमंत्रित किया। विश्व अहिंसा समिट, भगवान महावीर के शान्तिदूतों का गुणानुवाद महोत्सव में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान महावीर के पंचशील के सिद्धान्तों की आज पूरे विश्व को जरूरत है। युवा वर्धमान ने युवावस्था में राज महलों के सुख को त्याग कर सन्यास ले लिया और निकल गये सत्य की खोज में और उन्होंने बारह वर्षों तक कठोर तपस्या कर कैवल्य को प्राप्त किया उसके पश्चात पूरा जीवन समाज सुधार व कल्याण में लगा दिया। वास्तव में आज का महोत्सव उनके और उनके शान्तिदूतों के गुणानुवाद का है। माननीय राज्यपाल कर्नाटक श्री थावरचंद गहलोत जी ने कहा कि संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी एवं संत स्थविर, गच्छाधिपति आचार्य श्री दौलतसागर सूरीश्वर जी जीवन पर्यंत समाज व प्राणीमात्र के लिये समर्पित रहे। हमारा देश सर्वधर्म सम्भाव के सिद्धान्तों को जीता है। हमारी संस्कृति, विश्व बंधुत्व, शान्ति और समरसता का संदेश देती है। हमारी परम्परा धर्म की परम्परा है। हमारे जीवन में धर्मगुरूओं का महत्वपूर्ण योगदान है। धर्म किसी भी व्यक्ति को धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से प्रभावित करता है। जैन धर्म का आधार अहिंसा परमो धर्मः है। जैन समाज उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण व जीव दया का संदेश देते हुये कहा कि हमें जल, वायु, मृदा व जैवविविधता के संरक्षण हेतु मिलकर कार्य करना होगा।

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