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तकनीकी क्रांति का होगा आने वाला युग : श्री महंत रविन्द्र पुरी


राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में विद्यार्थियों तथा शिक्षको में कौशल विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से सशक्त भारत के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की आवश्यकता विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

हरिद्वार 28 मार्च आज एस एम जे एन पी जी कॉलेज हरिद्वार में कॉलेज के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, करियर काउंसलिंग सेल तथा कंप्यूटर विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में विद्यार्थियों तथा शिक्षको में कौशल विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से सशक्त भारत के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की आवश्यकता विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद तथा मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी जी महाराज जी द्वारा की गई। उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कॉलेज के इस प्रयास के लिए आयोजको की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से कौशलयुक्त बनाते हैं जिससे कि उनको रोजगार के उचित अवसर प्राप्त हो सकेंगे। श्री महंत ने कहा कि आने वाला युग ए आई तथा ई आई जैसी कंप्यूटर तकनीकों वाला होगा। श्री महंत ने विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा को समुचित तरीके से सीखने के कुछ गुर भी सुझाए। श्री महंत रविन्द्र पुरी ने कहा की इसी माह मार्च में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में एआई विकास को प्रोत्साहित करने के लिए पांच साल के लिए 10,372 करोड़ रुपये के खर्च वाले ‘भारत एआई मिशन’ को मंजूरी दे दी है। इससे देश में एआई पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी।एआई तकनीक से जुड़े नए युग में दुनिया भी मानती है कि एआई में भारत अग्रणी रहेगा और यह कंप्यूटर जनित शिक्षा से संभव होगा। कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ सुनील बत्रा ने कंप्यूटर शिक्षा की महत्ता पर अपने विचार प्रतिभागियों के साथ साझा किए। उन्होंने बताया कि कॉलेज के करियर काउंसलिंग सेल द्वारा निरंतर विद्यार्थियों के रोजगारपरक प्रशिक्षण तथा कौशल संवर्धन हेतु सफल प्रयास किए जा रहे हैं। प्रोफेसर सुनील बत्रा ने बताया कि वेदों व रामायण ग्रंथ में प्राचीनतम भारतीय संस्कृति में कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या एआई) की उत्पति के बारे में बताया कि रामायण के अरण्य काण्ड में पंचवटी में माता सीता हरण के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा की मारीच को सोने का मृग बनना इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस और श्री राम का कराहने वाली छद्म आवाज को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही रूप बताया। मारीच ने ना केवल रूप बदला बल्कि आवाज भी श्री राम की हूबहु बना ली थी। उन्होंने कहा कि सायबर क्रिमिनल आज कल इसी तकनीक का दुरूपयोग कर सामान्य नागरिकों को ठग रहें हैं।

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