à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की यह विशेषता रही है कि इसमें जीवन के जिन करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अथवा मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ व संवरà¥à¤§à¤¨ के लिये शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ और आवशà¥à¤¯à¤• जाना गया है।
रिपोर्ट - à¤à¤®0 पी0 डोà¤à¤¾à¤²
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की यह विशेषता रही है कि इसमें जीवन के जिन करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अथवा मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ व संवरà¥à¤§à¤¨ के लिये शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ और आवशà¥à¤¯à¤• जाना गया है, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धारà¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ और पà¥à¤£à¥à¤¯à¤²à¤¾à¤ के साथ जोड़ दिया गया है, जिससे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उनका पालन व अनà¥à¤•à¤°à¤£ अनिवारà¥à¤¯ रूप से करे । पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संसाधनो से सामीपà¥à¤¯ व सूà¤à¤¬à¥‚ठके साथ सामंजसà¥à¤¯ की पाठशाला उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड की à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• दूरदरà¥à¤¶à¤¿à¤¤à¤¾ से परिपूरà¥à¤£ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है जिसे "हरेला" के नाम से जाना जाता है .. पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रूप से धरा को , herb, shurb , bush और trees के रोपण के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हरियाली से परिपूरà¥à¤£ करने का हर छोटा व बड़ा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ ही *हरेला* कहलाता है। सामानà¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ "हरेला" वरà¥à¤· à¤à¤° में तीन अलग- अलग अवसरों पर मनाया जाता है । पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण में चैतà¥à¤° मास के अवसर पर। दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ चरण में सावन मास के अवसर पर व तृतीय चरण में अशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास के दौरान हरेला का परà¥à¤µ मनाया जीता है। सावन मास के दौरान मनाया जाने वाला "हरेला" इसलिठà¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस समय वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠके दौरान लगाठजाने वाली पौध बिना अधिक देखà¤à¤¾à¤² के कम समय में व सहजता से ही पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बीच अपना असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बनाने में सफल हो जाती है । विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अवसरों सहित हरेला के परà¥à¤µ पर रोपित किठजाने वाले वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की महतà¥à¤¤à¤¾ को मतà¥à¤¸à¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£ में लिखी इस बात से समà¤à¤¾ जा सकता है जिसमें लिखा गया है कि- दशकूप समावापी दशवापी समोहदः,दशहद समः पà¥à¤¤à¥à¤° दश पà¥à¤¤à¥à¤° समोदयः " अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤- लोक कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से दस कà¥à¤“ं के समान à¤à¤• बावड़ी , दस बावडियों के समान à¤à¤• तालाब, दस तालाबों के समान à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° और दस पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के समान à¤à¤• वृकà¥à¤· का महतà¥à¤µ है। वृकà¥à¤· को पà¥à¤¤à¥à¤° के समान महतà¥à¤µ देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा गया है कि- à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पालित वृकà¥à¤· वही कारà¥à¤¯ करता है जो à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° करता है । वह अपने पà¥à¤·à¥à¤ªà¥‹à¤‚ से देवों को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करता है, छाया से यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤– पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¤à¤¾ है और अपने फलों से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ करता है। वृकà¥à¤· का रोपण करने वाला दà¥:ख से परे होता है । इस सनातन सोच के विपरीत आज के उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ समाज में मनà¥à¤·à¥à¤¯ यह समà¤à¤¨à¥‡ लगा है कि समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संपदा पर सिरà¥à¤« और सिरà¥à¤«à¤¼ उसी का आधिपतà¥à¤¯ है। वह जैसा चाहें, इसका दोहन करें। इसी à¤à¥‹à¤—वादी पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ के कारण हमने पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का इस सीमा तक शोषण कर लिया कि अब हमारा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपना ही असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ संकट में पड़ने लगा है। हमें समà¤à¤¨à¤¾ होगा कि पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ और पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤•à¥€ की रकà¥à¤·à¤¾ किये बिना हमारा कोई असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ ही नही रहेगा । इसीलिये हम सबको उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड की इन समृदà¥à¤§ लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं से सीख लेते हà¥à¤¯à¥‡ वृकà¥à¤· रोपण के अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ को उचà¥à¤šà¤¤à¤® सà¥à¤¤à¤° पर ले जाना होगा। इस अवसर पर कई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ के आधार पर मैं à¤à¤• बात बड़ी गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से कहना चाहता हूठकि वृकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤ªà¤£ करते समय वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तथà¥à¤¯ , पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ उस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की पारà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤•à¥€ संतà¥à¤²à¤¨ में सहायक कारकों का आवशà¥à¤¯à¤• रूप से धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा जाना नितानà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है । हमने देखा है कि बिना गमà¥à¤à¥€à¤° अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के ही पहाड़ों में चीड़ के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ का जिस सà¥à¤¤à¤° पर रोपण किया गया उससे आज अनेकों कठिनाइयां पैदा हो रही हैं। धरती में वृकà¥à¤· रोपण करने से पहले हमें अपने मनोमसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में समावेशी , सरà¥à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ रूपी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤«à¥à¤Ÿà¤¨ करना होगा ..सिरà¥à¤«à¤¼ हरे के लिये ही वृकà¥à¤· रोपण सही सोच नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿à¤‚ इससे कà¥à¤› अवसरों पर लाठकी जगह हानि की ही संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ अधिक होगी . इसीलिये वृकà¥à¤· रोपण करते समय पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सरà¥à¤µ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प सघन छायादार, वरà¥à¤·à¤à¤° हरियाली यà¥à¤•à¥à¤¤, औषधीय , बहॠउपयोगी तथा फलदार वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ का अधिकाधिक रोपण करें । आइठहम सब इस संकलà¥à¤ª में अपनी à¤à¤¾à¤—ीदारी सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करें . व अपने-अपने तरीके से हरेला परà¥à¤µ मनायें