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नानी बाई को मायरो, भक्ति की शक्ति की अद्भुत कथा स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी की मधुर वाणी मंे हो रही कथा नानी बाई को मायरो के दूसरे दिन भक्तों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, आशीर्वाद और प्रेरक उद्बोधन श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 2 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी की मधुर वाणी मंे हो रही कथा नानी बाई को मायरो के दूसरे दिन भक्तों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, आशीर्वाद और प्रेरक उद्बोधन श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज नानी बाई को मायरो कथा के दौरान मां के गुणों की महिमा बताते हुये कहा कि मां का वात्सल्य और ममता अद्भुत है। मां का मीठा-मीठा बोलना और उनकी ममता बच्चों को सुरक्षा और प्रेम का अहसास कराती है। वह अपने बच्चो को जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेने के लिये परिपक्व करती है ताकि वे समाज में एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। स्वामी जी ने भक्ति की महिमा बताते हुये कहा कि एक भक्त का अपने ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास और प्रेम कितना मजबूत होता है यही संदेश हमें नानी बाई को मायरो से मिलती है। एक सच्चा भक्त अपने ईश्वर के प्रति समर्पित होता है और हर परिस्थिति में अपने ईश्वर पर विश्वास रखता है। स्वामी जी ने कहा कि भक्ति का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यह आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है। नरसी मेहता जी एक महान भक्त और संत थे, उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनका प्रभु के प्रति विश्वास कभी नहीं डगमगाया। उनकी भक्ति और विश्वास हमें सिखाते हैं कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें अपने ईश्वर पर अटूट विश्वास रखना चाहिए। नरसी मेहता का जीवन एक प्रेरणा है कि सच्ची भक्ति और विश्वास से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।

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