परमार्थ निकेतन में नाद योग कोर्स का शुभारम्भ हुआ, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों से आए साधकों ने भाग लिया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने साधकों का स्वागत करते हुए रुद्राक्ष की माला और योग किट वितरित की।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 14 नवम्बर। परमार्थ निकेतन में नाद योग कोर्स का शुभारम्भ हुआ, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों से आए साधकों ने भाग लिया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने साधकों का स्वागत करते हुए रुद्राक्ष की माला और योग किट वितरित की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा, नाद योग मंत्रों की महिमा और उनकी शक्ति का अद्भुत समन्वय है। यह कोर्स साधकों को आत्म-प्राप्ति और आंतरिक शांति की ओर अग्रसर करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। परमार्थ निकेतन मंत्र साधना का अद्भुत स्थान है, जहाँ प्रत्येक साधक को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नाद योग एक प्राचीन विधा है, जिसमें ध्वनि और मंत्रों के माध्यम से ध्यान और साधना की जाती है। नाद योग में ध्वनि को ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली ऊर्जा माना गया है, जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। नाद योग के माध्यम से हम अपने अंदर की आवाज को सुन सकते हैं और उससे प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। नाद योग एक प्राचीन और गूढ़ योग विधा है, जिसका प्राचीन काल से ही अभ्यास किया जाता रहा है। इसमें ध्वनि और मंत्रों के माध्यम से ध्यान और साधना की जाती है, जिससे साधक को आत्मिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। ध्वनि को ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली ऊर्जा माना गया है, और नाद योग इसी ऊर्जा का उपयोग करता है। ध्वनि के माध्यम से साधना का यह अद्भुत तरीका हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा और सकारात्मक प्रभाव डालता है। नाद योग में विभिन्न प्रकार के मंत्रों का उपयोग किया जाता है, जो ध्वनि की विभिन्न आवृत्तियों और तरंगों के माध्यम से साधक के शरीर और मन को शुद्ध और संतुलित करते हैं।