परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, ने संत मुरलीधर जी के श्रीमुख से हो रही दिव्य श्रीराम कथा में सहभाग कर अपने प्रेरणादायी उद्बोधन से सभी को भावविभोर कर दिया। स्वामी जी ने महाग्रंथ श्रीरामचरित्र मानस की महत्ता को स्पष्ट करते हुए जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 13 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, ने संत मुरलीधर जी के श्रीमुख से हो रही दिव्य श्रीराम कथा में सहभाग कर अपने प्रेरणादायी उद्बोधन से सभी को भावविभोर कर दिया। स्वामी जी ने महाग्रंथ श्रीरामचरित्र मानस की महत्ता को स्पष्ट करते हुए जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, श्रीरामचरित्र मानस में जीवन का सार समाहित है। यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि जीवन कैसे जिया जाए, हमारे कर्तव्य समाज और संस्कृति के प्रति क्या हैं, और प्रभु श्रीराम का चरित्र हमारे इन सभी उत्तरों का मार्गदर्शन करता है। श्रीराम की कथा संबंधों की मर्यादा, भाईयों के बीच प्रेम, और पिता की आज्ञा के पालन का संदेश देती है। स्वामी जी ने कहा कि रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू का मार्गदर्शन करता है। उन्होंने बताया कि श्रीरामचरित्र मानस में वर्णित कहानियां हमें सिखाती हैं कि कैसे एक आदर्श जीवन जिया जाए और कैसे सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों का पालन किया जाए। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर रामायण के विभिन्न चरित्रों की कहानियों से शिक्षा लेते हुए जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने की प्रेरणा दी। उन्होंने यह भी कहा कि रामायण की कथाएं हमें बताती हैं कि कैसे कठिन परिस्थितियों का सामना करना चाहिए और कैसे प्रत्येक व्यक्ति अपनी भूमिका के माध्यम से सर्वोत्तम योगदान दे सकता है। संत मुरलीधर जी ने आज श्रीराम कथा के माध्यम से कहा कि इस कथा में जीवन का सार समाहित है। यह कथा परिवार की एकजुटता, समन्वयता, सामन्जस्य और आपसी प्रेम का संदेश देती है। कथा हमारे जीवन में अनुशासन और सद्गुणों को स्थापित करने का दिव्य मंत्र है। राम कथा हमारे जीवन को एक नई दिशा प्रदान करती है और हमें नैतिकता और सद्गुणों की शिक्षा देती है।