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अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन


"योग, मानव चेतना एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता: विश्व शांति और कल्याण के विशेष संदर्भ" में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हुआ। इस अवसर पर योग, चेतना, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार में "योग, मानव चेतना एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता: विश्व शांति और कल्याण के विशेष संदर्भ" में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हुआ। इस अवसर पर योग, चेतना, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात योगाचार्य डॉ. अरुण त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद् डॉ. जवाहर लाल द्विवेदी, और विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर ईश्वर भारद्वाज उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. हेमलता ने की। डॉ. अरुण त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा, "योग केवल शरीर और मन को स्वस्थ रखने का साधन ही नहीं, बल्कि यह मानव चेतना को जाग्रत करने का सबसे शक्तिशाली साधन है। मानव चेतना के उन्नयन से हम न केवल व्यक्तिगत शांति पा सकते हैं, बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के साथ संतुलन बनाकर बिठाकर आत्मिक एवं वैश्विक शांति और कल्याण की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं। इस अवसर पर डॉ. जवाहर लाल द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग यदि सही दिशा में किया जाए तो यह मानव समाज के लिए अभूतपूर्व परिवर्तन ला सकती है। बुद्धि के साथ विवेक जुड़ा हुआ है यदि AI का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाये तो यह हमारे समाज की प्रगति में सहयोगी बन सकती है । प्रोफेसर ईश्वर भारद्वाज ने योग और चेतना के आपसी संबंध को रेखांकित करते हुए कहा, "योग न केवल व्यक्तिगत शांति की ओर ले जाता है, बल्कि यह समाज और विश्व में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही प्रो. हेमलता ने अपने उद्बोधन में कहा, "इस सम्मेलन का उद्देश्य योग, मानव चेतना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के समन्वय से विश्व शांति और कल्याण के लिए संभावनाओं का पता लगाना था। हम सभी जानते हैं कि विज्ञान और अध्यात्म का मेल ही भविष्य की चुनौतियों का समाधान है। योग से जाग्रत चेतना और आज की नवीनतम खोज कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ सामंजस्य से एक नई दुनिया की परिकल्पना की जा सकती है।

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