राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पोषण माह केà¥à¤° अंतरà¥à¤—त शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को बाल विकास परियोजना, अगसà¥à¤¤à¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ अंतरà¥à¤—त संचालित आंगनवाडी केनà¥à¤¦à¥à¤° पर गडमिल, बेडाखाल, सà¥à¤µà¤¾à¤‚रीगà¥à¤µà¤¾à¤‚स, बावई, कोठगी, कानà¥à¤¦à¥€, नारी, महादेव मोहलà¥à¤²à¤¾, मठियाणा, गà¥à¤¨à¤¾à¤‰à¤‚, गीड, गोरणा, खà¥à¤®à¥‡à¤°à¤¾à¤®à¤²à¥à¤²à¤¾, à¤à¥ˆà¤¸à¤—ांव, कà¥à¤£à¥à¤¡, डेजीमाणà¥à¤¡à¤¾, खांखरा, रामपà¥à¤°, फतेहपà¥à¤°, काणà¥à¤¡à¤ˆ, गंधारी, चोपडा, गदनू, चमराडा, कà¥à¤°à¤à¤£, जोनà¥à¤¦à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¥à¤®, जोनà¥à¤¦à¤²à¤¾ दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯, जरमà¥à¤µà¤¾à¤¡, आदि पर अमà¥à¤®à¤¾ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का आयोजन किया गया।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
रूदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 04 सितमà¥à¤¬à¤°, 2020, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पोषण माह केà¥à¤° अंतरà¥à¤—त शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को बाल विकास परियोजना, अगसà¥à¤¤à¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ अंतरà¥à¤—त संचालित आंगनवाडी केनà¥à¤¦à¥à¤° पर गडमिल, बेडाखाल, सà¥à¤µà¤¾à¤‚रीगà¥à¤µà¤¾à¤‚स, बावई, कोठगी, कानà¥à¤¦à¥€, नारी, महादेव मोहलà¥à¤²à¤¾, मठियाणा, गà¥à¤¨à¤¾à¤‰à¤‚, गीड, गोरणा, खà¥à¤®à¥‡à¤°à¤¾à¤®à¤²à¥à¤²à¤¾, à¤à¥ˆà¤¸à¤—ांव, कà¥à¤£à¥à¤¡, डेजीमाणà¥à¤¡à¤¾, खांखरा, रामपà¥à¤°, फतेहपà¥à¤°, काणà¥à¤¡à¤ˆ, गंधारी, चोपडा, गदनू, चमराडा, कà¥à¤°à¤à¤£, जोनà¥à¤¦à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¥à¤®, जोनà¥à¤¦à¤²à¤¾ दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯, जरमà¥à¤µà¤¾à¤¡, आदि पर अमà¥à¤®à¤¾ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का आयोजन किया गया। यह जानकारी देते हà¥à¤ बाल विकास परियोजना अधिकारी शैली पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ ने बताया कि गांव के बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— महिलाओं के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤—त पोषक ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ यà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤‚जन अपने हाथों से बनाये गये तथा बनाये गये वà¥à¤¯à¤‚जनों को केनà¥à¤¦à¥à¤° पर चिनà¥à¤¹à¤¿à¤¤ कà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤¿à¤¤/अतिकà¥à¤ªà¥‹à¤·à¤¿à¤¤ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ व गरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ माताओं को इन वà¥à¤¯à¤‚जनों को खाने से होने वाले फायदो को बताते हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤‚जनों का वितरण आंगनवाडी कारà¥à¤¯à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से किया गया। साथ ही गरà¥à¤à¤µà¤¤à¥€ महिलाओं को टीकाकरण, खानपान, सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ के संबंध में काउनà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤‚ग कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤ªà¤°à¤µà¤¾à¤‡à¤œà¤°à¥‹à¤‚ सà¥à¤§à¤¾ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी, शारदा रानी, हंसा ठगà¥à¤¨à¥à¤¨à¤¾ मीनाकà¥à¤·à¥€ सिंह, पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾ खतà¥à¤°à¥€, देवेषà¥à¤µà¤°à¥€ कà¥à¤‚वर, सà¥à¤§à¤¾ बंगवाल दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दी गयी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बताया कि पहाड़ी वà¥à¤¯à¤‚जनों के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त चैंसा, छेछडा, चैलाई (मरछा) का साग, à¤à¤‚गोरे की खीर, मà¥à¤‚गरी (à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡) के पकोडे, कफली, मंडà¥à¤µà¥‡ की रोटी, à¤à¤Ÿà¥à¤µà¤¾à¤£à¥€, बाड़ी, गà¥à¤¨à¤²à¤¾, चैलाई का हलवा, छसडू, पतà¥à¤¤à¥Œà¤¡, रोट, कदà¥à¤¦à¥‚ के फूल पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सबà¥à¤œà¥€ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— महिलाओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाया गया। वà¥à¤¯à¤‚जन लोहे की कडाई में बनाये गये तथा लोहे की कडाई में बने à¤à¥‹à¤œà¤¨ से होने वाले फायदों के विषय में जनमानस को जानकारी दी गयी।