Latest News

क्या उत्तराखंड में 70 से बढ़ाकर 100 विधानसभा होंगी?


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने राज्य में नये ज़िलों के सृजन की माँग की है और साथ में यह भी कहा है कि राज्य में विधान सभाओं की संख्या 70 से बढ़ाकर 100 की जाए।

रिपोर्ट  - à¤†à¤² न्यूज़ भारत ब्यूरो ,देहरादून।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने राज्य में नये ज़िलों के सृजन की माँग की है और साथ में यह भी कहा है कि राज्य में विधान सभाओं की संख्या 70 से बढ़ाकर 100 की जाए। इससे विकास का पहिया हर ओर पहुँच सकता है। साथ ही उन्होंने सुझाव रखा है की लोक सभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व 5 से बढ़ाकर 10 और राज्य सभा में 3 से बढ़ाकर 5 किया जाना राज्य बेहतर विकल्प साबित होगा। पूर्व टिहरी गढ़वाल किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को पत्र लिखा है और अपने पत्र में कहा है कि:- “विषम भौगौलिक परिस्थितियों और विकास में सर्वांगीण विकास की भावना की उपेक्षा तथा जल, जंगल, ज़मीं व पर्यावरण की रक्षा की भावना से उत्तराखंड राज्य आन्दोलन परवान चढ़ा और आज हम सबकी अदूरदर्शिता के कारण लुंज-पुंज राज्य हमारे सामने है। राज्य आन्दोलन की भावना की रक्षा दूर की कौड़ी हो गयी है।राज्य निवासी निराश हैं और अब तो यह भी कहने में गुरेज़ नहीं कर रहे कि इससे अच्छे तो हम उत्तर प्रदेश में थे। राज्य के अस्तित्व में आये दो दशक होने जा रहे हैं।छोटे राज्यों को अस्तित्व में लाने की मुख्य भावना जन का सत्ता से सम्पर्क सुगम-सुलभ हो, समय को बचाने वाला हो और इसी भावना से 70 विधान सभा क्षेत्र बनाये गये, लेकिन उस हिसाब से हम प्रशासनिक इकाईयाँ नहीं बना पाये। अपने प्रदेश अध्यक्षीय काल में मैंने राज्य व केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि जन सुविधा और जन आकांक्षाओं के अनुरूप राज्य में:- 1. नयी प्रशासनिक इकाईयों अर्थात् नये ज़िलों का सृजन किया जाय। 2. विधान सभा क्षेत्रों की संख्या का विस्तार कर 100 किया जाय। 3. लोक सभा क्षेत्रों की संख्या 5 से बढ़ाकर 10 की जाय। 4. राज्य सभा में प्रदेश का कोटा 3 से बढ़ाकर 5 किया जाय आशा है, आप इन सुझावों को स्वीकार करेंगे और पहला सुझाव जो आपके अधिकार क्षेत्र में है उसे चुनावी वर्ष आरम्भ होने से पहले राज्य में नये ज़िलों का सृजन करेंगे, आपको स्मरण करवाना चाहता हूँ कि 2007-12 की सरकार ने 4 नये ज़िलों के सृजन का शासनादेश किया था, जो अब तक अस्तित्व में नहीं आये हैं और तब आप उस सरकार में वरिष्ठ मन्त्री थे। बाक़ी तीन प्रस्ताव आप केंद्र को भेजने का कष्ट करेंगे।”

Related Post