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श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा ने जताया मेला अधिष्ठान का आभार


विश्वव्यापी महामारी के बीच कुम्भ मेला 2021 के प्रथम शाही स्नान सम्पन्न होने पर श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की ओर से मेला प्रशासन द्वारा बेहतर व्यवस्था बनाये जाने पर मेलाधिकारी एवं मेला आई जी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार जताया है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। विश्वव्यापी महामारी के बीच कुम्भ मेला 2021 के प्रथम शाही स्नान सम्पन्न होने पर श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की ओर से मेला प्रशासन द्वारा बेहतर व्यवस्था बनाये जाने पर मेलाधिकारी एवं मेला आई जी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार जताया है। अगामी शाही स्नान पर्वो के मौके पर भी बेहतर व्यवस्था की उम्मीद जाहिर की गयी है। सचिव श्रीमहंत मोहन भारती ने कहा कि कुम्भ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है,कुम्भ मेला को लेकर श्रद्वालुओं के साथ साथ संतो में खास आकर्षण होता है,कुम्भ जैसे पर्वो के आयोजन से सनातन धर्म और हिन्दू संस्कृति और ज्यादा फेलेगा। उन्होने प्रदेश के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व कुम्भ का सफल समापन होगा। शाही स्नान करते हुए संतो ने विश्व से कोरोना के समापन तथा देश के सुख-समृद्वि की कामना की। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज,अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज,जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज, सचिव एवं मेला प्रभारी श्रीमहंत महेश पुरी महाराज तथा श्रीमहंत मोहन भारती ने प्रथम शाही स्नान के शांति सम्पन्न होने पर मेलाधिकारी दीपक रावत,जिलाधिकारी सी रविशंकर,मेला आईजी संजय गुज्याल,मेला एसएसपी जन्मेजय खण्डूडी,एसएसपी अबुदई सैन्थिल कृष्णराज एस,अपर मेलाधिकारी डाॅ.ललित नारायण मिश्र,हरबीर सिंह सहित तमाम मेला अधिष्ठान के अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सभी अधिकारियों के बेहतरीन कार्यो के दृष्टिगत शाही स्नान शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया। जूना अखाड़ा के पदाधिकारियों ने नगर वासियों को भी प्रथम शाही स्नान के सम्पन्न होने पर बधाई देते हुए कहा है कि सभी के सहयोग से इस तरह के आयोजन का सफल समापन होता है। श्रीमहंतो ने कहा है कि सनातन धर्म के इस सबसे बड़े पर्व के सफलता में सभी का सहयोग जरूरी है। कहा कि विश्वव्यापी कोरोना के खात्मे के साथ साथ देश में सुख-समृद्वि की कामना के साथ संतो ने गंगा में डुबकी लगाई।

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