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" अखाड़े सरकार को लगा रहे करोड़ों का चूना धड़ल्ले से बेची जा रही हैं धर्मार्थ संपतियां शासन/प्रशासन लाचार"याचिकाकर्ता जल्द कोर्ट में रखेंगे अपना पक्ष"


संत नगरी में अखाड़े व इनके महंत धर्म की आड़ लेकर करोड़ों की स्टॉम्प चोरी तो कर ही रहे हैं इसके अलाबा अखाड़ों के महंत बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी भी कर रहे है।

रिपोर्ट  - à¤…जय शर्मा

हरिद्वार(अजय शर्मा) संत नगरी में अखाड़े व इनके महंत धर्म की आड़ लेकर करोड़ों की स्टॉम्प चोरी तो कर ही रहे हैं इसके अलाबा अखाड़ों के महंत बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी भी कर रहे हैं इतना ही नहीं अखाड़ो को दान में प्राप्त भूमि का प्रयोग धर्मार्थ उद्देश्यों हेतु न कर इसका प्रयोग व्यवासायिक रूप में हो रहा है तमाम नियम कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर भूमि को बेचने का खेल लंबे समय से यहाँ चल रहा है लेकिन शासन स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी प्रभावशाली सन्तों/महंतो के आगे नतमस्तक होकर बेवस व लाचार बने बैठे तमाशा देख रहे हैं अब याचिकाकर्ता अपना पक्ष उच्च न्यायालय में रखने की बात कह रहे हैं। आपको बता दें कि अखाड़ों के पास हरिद्वार में अरबों -खरबों की भूमि है इस भूमि का प्रयोग जनता के कल्याण के लिए धर्मार्थ उद्देश्यों हेतु किये जाने का प्राबधान है इन धार्मिक संस्थाओं की भूमि नियमानुसार बेची नहीं जा सकती और न ही इस भूमि का प्रयोग व्यवसायिक गतिविधियों हेतु किया जा सकता है लेकिन तीर्थ नगरी में बड़े पैमाने पर धार्मिक संस्थाओं की भूमि खुर्द-बुर्द कर उसे बेचने का खेल चल रहा है अखाड़ों/धार्मिक संस्थाओं के महंत इन धार्मिक प्रयोजन की संपत्तियों का प्रयोग धर्मार्थ उद्देश्यों हेतु न कर उनका प्रयोग भूमाफियाओं के साथ मिलकर व्यवसायिक उद्देश्यों हेतु कर रहे हैं वर्तमान में साधु सन्यासियों एवं धर्म भीरू जनता हेतु आरक्षित भूमि पर बड़े-बड़े शॉपिंग कॉम्पलेक्स/अपार्टमेंट खड़े कर दिए गए हैं जिससे सरकार को स्टाम्प ड्यूटी/राजस्व के रूप में करोड़ों की हानि हो रही है। हरिद्वार कनखल के सामाजिक कार्यकर्ता पँडित अभिषेक झा बताते हैं कि वे वर्षों से इस संबंध में शासन/प्रशासन में बैठे अधिकारियों से लगातार शिकायतें कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्यवाही करने को इस लिए तैयार नहीं क्योंकि अखाड़ों के संत/महंतो को सरकार व उसके अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है पँडित अभिषेक का केहना है कि उन्होंने इस सबन्ध में थकहार कर उत्तराखण्ड उच्च न्ययालय की शरण लेते हुए जनहित याचिका दायर की है जिसमें 13 अखाड़ों के साथ शासन/प्रशासन के जिमेदार अधिकारियों को पक्षकार बनाया हुआ है।

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