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परमार्थ निकेतन में जीवन कौशल प्रशिक्षण का तृतीय चरण का शुभारम्भ


समुदाय के किशोर-किशोरियों को जीवन कौशल प्रशिक्षण के प्रमाण-पत्र वितरित किये

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

10 दिसम्बर, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस और यूएनएफपीए के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित जीवन कौशल प्रशिक्षण के तीसरे चरण का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में ऋषिकेश के सभी समुदायों के किशोर-किशोरियों और उनके माता-पिता ने भण्डारा में सहभाग किया। इस अवसर पर स्वामी जी और साध्वी जी ने बच्चों को स्वच्छ, सुरक्षित, स्वस्थ जीवन के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करने का संदेश दिया। ज्ञात हो कि सितम्बर, 2019 से जीवा, परमार्थ निकेतन द्वारा ऋषिकेश के चार समुदायों यथा काले की ढ़ाल, चन्देश्वर नगर, मायाकुण्ड और गोविन्द नगर के बच्चों को जीवन कौशल प्रशिक्षण के अन्तर्गत स्वयं को जानने के साथ अपने समुदाय को जानना, जुड़ना, समुदाय की समस्याओं का मिलकर समाधान निकालना तथा समुदाय के स्वस्थ रखने के विषय में प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही समुदाय में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह, घरेलू हिंसा महिला उत्पिड़न, नशा, आदि के बारे मेें जागरूक किया जा रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में समाज में विशेषकर युवाओं में परीक्षाओं में केवल अंक अर्जित करने की अवधारणा विद्यमान है, इससे वास्तविक जीवन शिक्षा के स्तर में कमी आती है। जीवन कौशल पर आधारित पाठ्यक्रम के माध्यम से देश के युवाओं में कार्यकुशलता, अपनत्व, राष्ट्रभावना, वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना तथा सामूहिक दक्षता विकसित की जा सकती है। भारत के युवाओं को कौशल और गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा के साथ ही जीवन कौशल, संचार कौशल, समय प्रबंधन, समस्या सुलझाने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व क्षमता आदि का प्रशिक्षण देना अत्यंत आवश्यक है। जीवन कौशल प्रशिक्षण मानव जीवन की विशेषकर युवाओं की समस्याओं से निपटने में मदद करती है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि बच्चों को प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक स्कूली पाठ्यक्रम के साथ ही जीवन कौशल का प्रशिक्षण देना अत्यंत आवश्यक है इससे बच्चों में मानसिक योग्यता का विकास होता है। शिक्षा समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में एक सशक्त और सक्षम अस्त्र है, परंतु उसे कारगर बनाने व जीवन के कुशल संचालन हेेतु जीवन कौशल से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। समुदाय के किशोर-किशारी और उनके परिवार के सदस्य पूज्य स्वामी जी और साध्वी जी के हाथों जीवन कौशल प्रशिक्षण का प्रमाण-पत्र लेकर अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहे थें। उन्होंने कहा कि जीवन कौशल प्रशिक्षण (पांच-पांच दिन के तीन चरणों का प्रशिक्षण) लेने हेतु वे 15 दिनों तक परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में रहे, विश्व शान्ति हवन और दिव्य गंगा आरती में सहभाग कर मन गद्गद हो गया।

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