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तीर्थ नगरी में हर्ष फायरिंग करने वालों के हौसले बुलंद, लगातार हर्ष फायरिंग पर भी कार्यवाही नहीï


पुलिस का जेब में रिवाल्वर रखने वालों के दिमाग से डर निकल चुका है पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही ना होने की वजह से ही हरिद्वार में लगातार हर्ष फायरिंग हो रही है।

रिपोर्ट  - à¤†à¤² न्यूज़ भारत

आज हरिद्वार बहादराबाद रोड गणपत फार्म हाउस पर खुशी के माहौल में फिल्मी गानों पर लोग झूम रहे थे,खुशियां मना रहे थे तभी एक सज्जन ने अपनी पतलून में लगी रिवाल्वर को निकालकर पांच राउंड हर्ष फायरिंग कर डाली। जबकि हर्ष फायरिंग करना कानूनन जुर्म है ऐसे में कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है खुशी का माहौल गम में भी तब्दील हो सकता है। किसी निर्दोष की जान जा सकती है। यह नजारा रोड पर चलने वाले लोग सब देख रहे थे। अपने मोबाइल में यह वीडियो कैद कर रहे थे ऐसे में कोई भी राहगीर हादसे का शिकार भी हो सकता था? लेकिन हरिद्वार बहादराबाद पुलिस ऐसे ही किसी हादसे का इंतजार कर रही है। ऐसे शादी विवाहों के समारोह में हरिद्वार में लगातार हर्ष फायरिंग हो रही है लेकिन हरिद्वार उत्तराखंड की पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी है इंतजार कर रही है तो किसी हादसे का ? लेकिन बार-बार चेतावनी के बावजूद भी हरिद्वार उत्तराखंड पुलिस के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। पिछले माह बूढ़ी माता कनखल में बरात के दौरान हर्ष फायरिंग हुई थी। उससे पहले बीएचएल सेक्टर 4 में भी शादी में नाचते हुए लोगों ने हर्ष फायरिंग की थी। 2013 में सेक्टर 4 में हर्ष फायरिंग के दौरान एक महिला की मृत्यु हो गई थी। लेकिन हरिद्वार पुलिस आज भी कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं है जबकि शादी विवाह समारोह में हर्ष फायरिंग करना कानूनन अपराध है। लोग शादी विवाह में अपना रुतबा दिखाने के लिए तमंचा से हर्ष फायरिंग करते हैं जबकि लाइसेंस जारी करते समय उन्हें हिदायत दी जाती है कि यह हथियार आत्मरक्षा के लिए है ना कि रुतबा दिखाने के लिए हर्ष फायरिंग करने वालों को 2वर्ष की जेल एवं लाइसेंस व हथियार भी जप्त हो जाते है लेकिन यहां कानून का किसे डर है। पुलिस का जेब में रिवाल्वर रखने वालों के दिमाग से डर निकल चुका है। पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही ना होने की वजह से ही हरिद्वार में लगातार हर्ष फायरिंग हो रही है लेकिन पुलिस फिर भी कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। जबकि वर्ष 2014 में छोटे हथियारों से की गई फायरिंग के कारण हुई दुर्घटनाओं में प्रति दिन दो लोगों की मौत हुई. पिछले एक दशक (2005-2019 के बीच) में हषर्-फायरिंग जैसी घटनाओं में कुल मिलाकर 30 हजार से अधिक जानें गई हैं, जिनमें दो-तिहाई मौतें अकेले उत्तर प्रदेश में हुई. इस अवधि में 20 हजार 319 लोगों की मृत्यु विभिन्न कारणों से की गई फायरिंग में यूपी में हुई, जबकि मध्य प्रदेश में 2712, छत्तीसगढ़ में 2065 मौतों का आंकड़ा ऐसे ही कारणों की वजह से सामने आया है. हरियाणा, झारखंड, असम, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, बिहार,पंजाब,उत्तराखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी यह प्रवृत्ति दिखाई दे रही है, जिस कारण ऐसी ही दुर्घटनाएं हो रही हैं.

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