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सीवर का नाला बहता रहे कोई बात नहीं पर, नाम गंगा कर दो


दोनों नालों का मिलन लोकनाथ घाट भूपतवाला में होता है। एक नाला शांतिकुंज क्षेत्र से गंदे व बरसाती नालों को लेकर आ रहा है।दूसरा नाला दुर्गा नगर से सीवर की गंदगी को लेकर आ रहा है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

हरिद्वार दोनों नालों का मिलन लोकनाथ घाट भूपतवाला में होता है। एक नाला शांतिकुंज क्षेत्र से गंदे व बरसाती नालों को लेकर आ रहा है।दूसरा नाला दुर्गा नगर से सीवर की गंदगी को लेकर आ रहा है। फोटो में सीवर बहता हुआ साफ दिख रहा है। दोनों लोकनाथ घाट पर मिल रहे हैं जहां से गंगा की उस अविच्छिन्न धारा में मिल जाते हैं। जिसको हरीश रावत सरकार ने स्कैप चैनल (नहर) घोषित कर दिया था। सीवर युक्त यही जल ब्रह्मकुंड हर की पैड़ी पहुंच रहा हैं। गंगा की अविच्छिन्न धारा को नहर घोषित किए चार साल होने जा रहे हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के एसडीओ कैनाल ने 1997 में ही लिखित रूप में दिया था कि सर्वानंद घाट से हर की पैड़ी होते हुए डामकोठी मायापुर तक गंगा नहीं है। गंगा का नियंत्रित जल प्रवाह है। ध्यान रहे हर की पैड़ी पर नियंत्रित नहीं अविरल जलधारा की मांग को लेकर महामना पंडित मदनमोहन मालवीय के नेतृत्व में आंदोलन हुआ था। 1916 समझौते के बाद ही भीमगोडा डैम से उपर भूपतवाला में गंगा नदी से एक अलग धारा हर की पैड़ी के लिए निकाली गई। जिसको अब भागीरथी बिंदु के नाम से जाना जाता है। जिसको सिंचाई मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने बनवाया था। जब भूपतवाला से गंगा की अविच्छिन्न धारा निकाली गई थी। तब वह गंगा थी क्योंकि तब हर की पैड़ी तक कुछ गिने चुने भवन ही थे। बरसाती पानी के अलावा उसमें अन्य किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं बहाई जाती थी। लेकिन अब वह एक गंदा नाला बन चुकी है। यह धार्मिक श्रद्धालुओं के साथ अपने आप में बड़ा छल है क्योंकि उन्हें बताया ही नहीं जाता है कि जिस जल में वह डुबकी लगाते हैं और अंतर्मन को पवित्र करने के लिए आचमन लेते हैं उसमें गंदे नाले भी बह रहे हैं। पंडा पुरोहित समाज तथा गंगा सभा के पदाधिकारियों ने इससे पहले न तो उत्तर प्रदेश सरकार के सामने कभी विरोध किया न गंगा की अविच्छिन्न धारा पर किसी प्रकार की निर्माण गतिविधियों तथा गंदे नाले उसमें छोडने का विरोध किया। सभा तो मूकदर्शक ही बनी रही। जब से यह विवाद शुरू हुआ है कि हर की पैड़ी पर गंगा नहीं नहर बह रही है तो फिर कुंभ 2021का स्नान नहर में होगा कि गंगा नदी में। यद्यपि गंगा सभा तथा अखाड़ों के संतों ने ऐलान किया है कि कुंभ स्नान तो हर की पैड़ी पर ही होगा। लेकिन नहर में होगा या गंगा नदी में यह सवाल तो अनुतरित बना हुआ है। मोदी सरकार ने नीलधारा चंडीघाट पर शानदार नमामि गंगे का घाट बनाया है। शायद इसीलिए भाजपा सरकार गंगा को नहर बनाने के जीओ को अभी तक वापिस नहीं लिया है। मोदी सरकार ने नमामि गंगे का बजट बढ़ा कर 20 हजार करोड़ कर दिया था। लेकिन हरिद्वार में तो नमामि गंगे में सभी नंगे ही हुए हैं। गंगा ने और उसके झंडाबरदारों ने करोड़ों रुपयों का वारा न्यारा होता देखा है। हर की पैड़ी के आचमन स्थल पर पहुंच रहे सीवर युक्त जल की रोकथाम के लिए गंगा सभा ने प्रभावी आवाज नहीं उठाई है। बस नाम गंगा रख दो तक की ही उनकी तमन्ना है।

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