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देसंविवि में आयोजित दो दिवसीय ज्ञानकुंभ समागम का समापन


देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में चल रहे दो दिवसीय ज्ञानकुंभ का आज समापन हो गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) श्री गुरमीत सिंह जी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, अतुल भाई कोठारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 2 अक्टूबर। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में चल रहे दो दिवसीय ज्ञानकुंभ का आज समापन हो गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) श्री गुरमीत सिंह जी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या, अतुल भाई कोठारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि माननीय राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) श्री गुरमीत सिंह जी ने कहा कि ज्ञानकुंभ में उभरे विचारों को पुस्तकाकार दें, जिससे आने वाली पीढियां लाभान्वित होंगी और भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रसार होगा। भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में यह एक गेमचेंजर साबित होगा। माननीय राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत, विश्व गुरु भारत शिव की त्रिशुल की तरह है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा में ही देश का भाग्य बदलने की शक्ति निहित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को वैश्विक स्तर पर महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि सद्ज्ञान से ही सोच को स्वच्छता संभव है। उन्होंने एआई की महत्ता व उपयोगिता पर उल्लेखनीय जानकारी दी। समापन समारोह के अध्यक्ष देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि विश्व के समस्त समस्याओं का समाधान भारत के पास विद्यमान है। हम सभी को अपने हृदय के अंदर भारतीयता को धारण करना है, ताकि हमारी सनातन संस्कृति की वैभवशाली परंपरा को जीवंत रख सकें। इससे पूर्व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय महासचिव श्री अतुल भाई कोठारी ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि से अवगत कराया और दो दिन चले ज्ञानकुंभ की संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।

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