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माँ शबरी रामलीला के माध्यम से परमार्थ निकेतन, गंगा तट से समरसता और सद्भाव की गंगा होगी प्रवाहित


ऋषिकेश, 9 अक्टूबर। नवरात्रि, समाज में महिषासुर रूपी आतंक व अत्याचार पर विजय का प्रतीक है। आज भी हमारी छोटी-छोटी बेटियों पर अनेक अत्याचार हो रहे हैं उन अत्याचारों और कुरीतियों को समाप्त करना ही सच्चे अर्थों में नवरात्रि है।

रिपोर्ट  - 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नवरात्रि के अवसर पर परमार्थ निकेतन में आयोजित विभिन्न गतिविधियों में सम्बोधित करते हुये कहा कि नवरात्रि, माँ दुर्गा की पूजा और महिषासुर पर उनकी विजय का प्रतीक है, यह केवल धार्मिक पर्व ही नहीं है बल्कि यह समाज में परिवर्तन का संदेश भी देता है। माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर यह संदेश दिया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, सच्चाई और न्याय की विजय अवश्य होती है। वर्तमान समय में भी हमारे समाज में महिषासुर रूपी अत्याचार अभी भी विद्यमान हैं। विशेषकर, हमारी बेटियों पर होने वाले अत्याचार और अन्याय को समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है। हर बच्ची और हर नारी का अधिकार है कि वह सुरक्षित और सम्मानित जीवन जी सके, लेकिन वास्तविकता यह है कि समाज में अभी भी अनेक कुरीतियाँ और अत्याचार मौजूद हैं। सही अर्थों में नवरात्रि तभी पूरी होगी जब हम समाज में व्याप्त इन सामाजिक बुराइयों का अंत करने के लिए एकजुट हों। हमें अपनी बेटियों के लिए एक ऐसा समाज बनाना है जहां उन्हें समान अधिकार और सम्मान मिले, जहां वे भयमुक्त होकर जी सकें। नवरात्रि, में हर दिन जब हम माँ दुर्गा की पूजा करते हैं, तब हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम समाज में व्याप्त अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ेंगे। हमें अपनी बेटियों को सशक्त बनाना होगा, उन्हें शिक्षित करना होगा, और उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी। वर्तमान समय में हमारी बेटियाँ अनेक चुनौतियों का सामना कर रही हैं, लिंग भेदभाव, शिक्षा की कमी, और हिंसा। ये विषय केवल व्यक्तिगत या पारिवारिक नहीं हैं, बल्कि सामाजिक हैं। इन अन्यायों के खिलाफ लड़ाई सामूहिक और निरंतर होनी चाहिए। स्वामी जी ने कहा कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली उपकरण है जो हमारे पास है। बेटियों को शिक्षित करने से समाज में परिवर्तन होगा। हर बेटी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सुरक्षित स्कूल वातावरण और अपने सपनों को पूरा करने के अवसर मिलें। तभी सच्चे अर्थों में नवरात्रि सार्थक होगी। जब हम समाज में हर प्रकार के महिषासुर रूपी आतंक और अन्याय का अंत करेंगे और अपनी बेटियों को वह स्थान देंगे जिसकी वे अधिकारिणी हैं। नवरात्रि की सच्ची पूजा तब ही संभव है जब हम समाज में वास्तविक बदलाव लाएं और अपनी अगली पीढ़ी को एक सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य प्रदान करें।

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