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दशनामी सन्यास परंपरा में शास्त्रों के साथ शस्त्र पूजन का भी विधान है - श्रीमहंत रविंद्रपुरी


हरिद्वार, 12 अक्तूबर। दशहरे पर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के नेतृत्व में संतों ने वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों व अन्य शस्त्रों का पूर्ण विधि विधान से पूजन किया।

रिपोर्ट  - Rameshwar Gaur

दशहरे पर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के नेतृत्व में संतों ने वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों व अन्य शस्त्रों का पूर्ण विधि विधान से पूजन किया। श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने बताया कि आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी सन्यास परंपरा में शास्त्रों के साथ शस्त्र पूजन का भी विधान है। अखाड़ों की परंपरा में भी शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है। परंपरा का पालन करते हुए दशहरे पर नागा सन्यासी अखाड़ों में शस्त्र पूजन करते हैं और धर्म रक्षा के लिए संकल्पबद्ध होते हैं। श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि अखाड़े में प्राचीन काल से रखे सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों को देवता के रूप में पूजा जाता है। इसके साथ आधुनिक हथियारों की भी पूजा की जाती है। उन्होंने बताया कि सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश भाले कुंभ मेले में अखाड़े की पेशवाई में सबसे आगे चलते हैं। चूंकि दोनों भाले अखाड़े के देवता है। इसलिए शाही स्नान के दौरान सबसे पहले उन्हें ही स्नान कराया जाता है। इसके बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, संत महंत व नागा सन्यासी स्नान करते हैं। इस अवसर पर महंत सूर्यमोहन गिरी, महंत अखिलेश भारती, स्वामी कृष्णानंद पुरी, महंत कमलपुरी, महंत ज्ञान भारती, महंत मोहन गिरी, महंत रामगिरी, महंत शिवनाथ, महंत हनुमान बाबा सहित अखाड़े के सभी संत महंत व भक्त मौजूद रहे।

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