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गुरुवार को है सावन पुत्रदा एकादशी,जानें पूजा का मुहूर्त, विधि, महत्व एवं पारण समय


पं. हृदय रंजन शर्मा के अनुसार, हिन्दी पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।इस वर्ष सावन पुत्रदा एकादशी 30 जुलाई दिन गुरुवार को है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

पं. हृदय रंजन शर्मा के अनुसार, हिन्दी पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।इस वर्ष सावन पुत्रदा एकादशी 30 जुलाई दिन गुरुवार को है।इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है।उनकी पूजा करने से पुत्र की कामना करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है।इस दिन भगवान शिव शंकर का अभिषेक कराना भी कल्याणकारी माना जाता है।सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व इस एकादशी का व्रत संतान की कामना करने वाले और संतान वाले दोनों ही करते हैं।पुत्रदा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की ही कृपा प्राप्त होती है।श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 30 जुलाई को 01 बजकर 16 मिनट से हो रहा है,जो देर रात 23 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगा।व्रत रखने वाले व्यक्ति को पारण 31 जुलाई दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 42 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए।पूजा के लिए भगवान विष्णु या बाल गोपाल श्रीकृष्ण की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें।फिर उनको पंचामृत से स्नान कराएं। चंदन तिलक कर वस्त्र पहनाएं। पीले पुष्प, धूप, दीप, गंध, तुलसी, पान, सुपारी आदि अर्पित करें। फल, नारियल, बेर, आंवला, लौंग भी अर्पित करें।इसके पश्चात विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। फिर भगवान विष्ण की आरती करें।

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