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उत्तराखण्ड ज्योतिष रत्न की घोषणा एवं सम्मान और पांच युवा ज्योतिषियों का सम्मान


ज्योतिष महाकुम्भ - 2024 में परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती का मुख्य अतिथि व प्रमुख वक्ता के रूप में पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुख्य अतिथि के रूप में गरिमामयी उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में अनेक विशिष्ट अतिथियों, ज्योतिषाचार्यों, ग्राफिक एरा के समस्त सदस्यों और अनेक विभूतियों ने सहभाग किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 29 दिसम्बर। ज्योतिष महाकुम्भ - 2024 में परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती का मुख्य अतिथि व प्रमुख वक्ता के रूप में पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुख्य अतिथि के रूप में गरिमामयी उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में अनेक विशिष्ट अतिथियों, ज्योतिषाचार्यों, ग्राफिक एरा के समस्त सदस्यों और अनेक विभूतियों ने सहभाग किया। उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर आयोजित ज्योतिष महाकुम्भ - 2024 न केवल ज्योतिष क्षेत्र के ज्ञान को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर है बल्कि ग्राफिक एरा में आयोजित यह भव्य आयोजन क्षेत्र के सम्मानित ज्योतिषाचार्यों का संगम भी बनकर उभरा है। यह आयोजन ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के सिल्वर जुबली कान्वेंशन सेंटर में सम्पन्न हुआ, जिसमें देश-विदेश से आए ज्योतिषाचार्य, विशेषज्ञ, एवं विद्यार्थियों की सहभागिता रही। इस भव्य आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की पवित्र उपस्थिति रही। स्वामी जी ने अपने उद्घाटन संबोधन में भारतीय संस्कृति, वेद, और ज्योतिष के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि ज्योतिष केवल भविष्यवाणी करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन को सही मार्गदर्शन प्रदान करने वाला दिव्य विज्ञान है। यूनाइटेड नेशन भी इन हाथ पर बनी लकिरों पर अब विश्वास करने लगा है क्योंकि ज्यातिष एक विज्ञान है। ज्योतिष केवल एक विज्ञान नहीं बल्कि विश्वास भी है और श्वास भी है। ज्योतिष, श्वास, विश्वास और विज्ञान की त्रिवेणी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी भी इस महाकुम्भ में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। अपने उद्घाटन भाषण में राज्य के विकास के साथ-साथ पारंपरिक ज्ञान और ज्योतिष के योगदान पर अपने विचार साझा करते हुये उन्होंने इस सातवें ज्योतिष महाकुम्भ के आयोजन हेतु सभी को शुभकामनायें दी और उत्तराखंड़ की भूमि पर देश-विदेश से आये सभी ज्योतिषाचार्यों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि उत्तराखंड़ व ज्योतिष का आपस में बड़ा ही घनिष्ठ संबंध है। उत्तराखंड़ प्राचीन काल से ऋषि, मुनियों व ज्योतिषाचार्यों की तपस्थली रही है। यह भूमि कर्म, उपासना के साथ-साथ लौकिक व अलौकिक क्रियाओं की भूमि रही है और यहां के दिव्य रहस्यों को उजागर करने का प्रयास हमेशा ही किया जाता रहा है।

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