कुंभ मेले में एक बार फिर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लाखों श्रद्धालुओं के लिए पवित्र माने जाने वाले गंगा नदी में पुलिस के घोड़ों को लाने से जल प्रदूषण का आरोप लग रहा है। इस घटना पर कई संतों ने गहरा रोष व्यक्त किया है।
रिपोर्ट - RAMESHWAR GAUR
प्रयागराज: कुंभ मेले में एक बार फिर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लाखों श्रद्धालुओं के लिए पवित्र माने जाने वाले गंगा नदी में पुलिस के घोड़ों को लाने से जल प्रदूषण का आरोप लग रहा है। इस घटना पर कई संतों ने गहरा रोष व्यक्त किया है। संतों का कहना है कि गंगा नदी को माता के समान माना जाता है और इसे प्रदूषित करना अक्षम्य अपराध है। घोड़ों के आने से न केवल जल प्रदूषित हो रहा है बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंच रही है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि घोड़ों को स्नान क्षेत्र से दूर रखा जाए। संतों की चिंताएं: जल प्रदूषण: घोड़ों के शरीर से निकलने वाले पदार्थ गंगा जल को प्रदूषित कर रहे हैं जिससे स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को खतरा है। धार्मिक भावनाएं: गंगा नदी को माता के समान माना जाता है और इसे प्रदूषित करना धार्मिक भावनाओं को आहत करना है। पारंपरिक प्रथाएं: संतों का मानना है कि पहले कभी भी घोड़ों को स्नान क्षेत्र में नहीं लाया जाता था और यह एक नई परंपरा है।