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महाकुंभ हमारी विरासत की समृद्धि की अभिव्यक्ति, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश


गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारत को कभी ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्रोत के रूप में जाना जाता था। राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमेशा से हमारी सभ्यतागत विरासत का हिस्सा रहे हैं।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारत को कभी ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्रोत के रूप में जाना जाता था। राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमेशा से हमारी सभ्यतागत विरासत का हिस्सा रहे हैं। संविधान एक जीवंत दस्तावेज बन गया है, क्योंकि नागरिक मूल्य सहस्राब्दियों से हमारे नैतिक मूल्यों का हिस्सा रहे हैं। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "महाकुंभ हमारी सभ्यतागत विरासत की समृद्धि की अभिव्यक्ति है।"गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारत को कभी ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्रोत के रूप में जाना जाता था। राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमेशा से हमारी सभ्यतागत विरासत का हिस्सा रहे हैं। संविधान एक जीवंत दस्तावेज बन गया है, क्योंकि नागरिक मूल्य सहस्राब्दियों से हमारे नैतिक मूल्यों का हिस्सा रहे हैं। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "महाकुंभ हमारी सभ्यतागत विरासत की समृद्धि की अभिव्यक्ति है।"

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