उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के समसà¥à¤¤ पावन तीरà¥à¤¥à¥‹ और चारो धाम की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकली शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद à¤à¥ˆà¤°à¤µ अखाड़े की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ सोमवार को पौड़ी के निकट सीतामà¥à¥€ गà¥à¤°à¤¾à¤® पहà¥à¤šà¥€à¥¤ इस छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ को लकर इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के गामीणों के जरà¥à¤¬à¤°à¤¦à¤¸à¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ था और पवितà¥à¤° छडतà¥à¤°à¥€ के वहा पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ राजेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ ने ढोल,नगाड़ो व पà¥à¤·à¥à¤ªà¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ के साथ पवितà¥à¤° छड़ी का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया|
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के समसà¥à¤¤ पावन तीरà¥à¤¥à¥‹ और चारो धाम की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकली शà¥à¤°à¥€à¤ªà¤‚च दशनाम जूना आनंद à¤à¥ˆà¤°à¤µ अखाड़े की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ सोमवार को पौड़ी के निकट सीतामà¥à¥€ गà¥à¤°à¤¾à¤® पहà¥à¤šà¥€à¥¤ इस छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ को लकर इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के गामीणों के जरà¥à¤¬à¤°à¤¦à¤¸à¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ था और पवितà¥à¤° छडतà¥à¤°à¥€ के वहा पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ राजेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ ने ढोल,नगाड़ो व पà¥à¤·à¥à¤ªà¤µà¤°à¥à¤·à¤¾ के साथ पवितà¥à¤° छड़ी का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया तथा माता सीता के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में जाकर पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की। पवितà¥à¤° छड़ी के सà¥à¤µà¤¾à¤—त के लिठपà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की ओर से तहसीलदार पौड़ी हरिमोहन खंडूडी,नायब तहसीलदार पूरण पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ रावत,राजसà¥à¤µ निरीकà¥à¤·à¤• सूरजपाल सिंह रावत,दीपक देवरानी,कà¥.नीतू रावत,राजेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह नेगी,विजयराम पंत,गेजेनà¥à¤¦à¥à¤° रतूड़ी,उपनिरीकà¥à¤·à¤• डीसी टमà¥à¤Ÿ आदि मौजूद रहे। जूना अखाड़े के अनà¥à¤°à¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ व छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– महंत शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज को गà¥à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ राजेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह ने सीतामà¥à¥€ की पौराणिक कथा की जानकारी देते हà¥à¤ बताया कि सीता माता ने इसी सà¥à¤¥à¤² पर à¤à¥‚-समाधि ली थी। जब वह à¤à¥‚मि में समा रही थी तब लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ ने उनà¥à¤¹à¥‡ रोकने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया,लेकिन उनके हाथ में सीतामाता के केश ही रह गये थे। तà¤à¥€ से सीता माता की पावन सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में दीपावली के बारह दिनों पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन बहà¥à¤¤ बड़ा मेला लगता है,जिसमें जहां माता सीता ने समाधि ली थी,वहां गाॅव के बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤£à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मृग के सींग से खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ की जाती है। वहा खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ रोककर शिला की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की जाती है। इस पूजा के लिठमाता सीता के मायका कोटड़ा गांव से बबूल की बनी रसà¥à¤¸à¥€ जिसे à¤à¤µà¥‡à¤²à¥€ कहा जाता है लाई जाती है जिसकी लमà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ à¤à¥‚-समाधि सà¥à¤¥à¤² से सीतामाता के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तक होती है,खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ सà¥à¤¥à¤² पर पूजा के लिठलाई जाती है,जिसे गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ माता सीता के बाल लट के रूपॠमें पूजते है। बाद में इसे पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ सà¥à¤µà¤°à¥‚प बांट दिया जाता है। जिसे गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ अपने घरों में पूजा सà¥à¤¥à¤²,कोठार आदि में समृदà¥à¤µà¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने हेतॠरखते है। गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ ने शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤—िरि महाराज से माता सीता की à¤à¥‚-समाधि सà¥à¤¥à¤² व मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के à¤à¤µà¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सिंह राावत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गयी घोषणा को शीघà¥à¤° कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ किये जाने की मांग की। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त पà¥à¤°à¥‡à¤® गिरि ने गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ को आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ करते हà¥à¤ कहा कि पवितà¥à¤° छड़ी को सीतामà¥à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ को ले जाने का आगà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ का à¤à¥€ था और वह इस पावन तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¾à¤¿à¤²à¥€ को विशà¥à¤µ पटल पर लाने के लिठबड़ी गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से कारà¥à¤¯à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤¾ बना रहे है। इस छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से जहां मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ को यहां के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ की मनोà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से अवगत कराय जायेगा,वही साधà¥-संतो के माधà¥à¤¯à¤® से पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ इसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° किया जायेगा। पवितà¥à¤° छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ में शामिल साधॠसंतो की जमात जिसमें छड़ी महंत पà¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤°à¤¾à¤œ गिरि,शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त शिवदतà¥à¤¤ गिरी,महंत महादेवानंद गिरि,महंत पारसपà¥à¤°à¥€,महंत मोहनानंद गिरि,महंत शिवाल गिरी,महंत गà¥à¤ªà¥à¤¤ गिरि,शांताकार गिरि,रामगिरि,परमानंद गिरि आदि आदि शामिल रहे। माता सीता मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ छड़ी यातà¥à¤°à¤¾ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठपौड़ी रवाना हो गयी।