समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• के रूप में राजा राममोहन राय का उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€, विधवा पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹ के लिठआनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ करने तथा नारी शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¬à¤² पकà¥à¤·à¤§à¤° बंगाल के मेदिनीपà¥à¤° जिले के वीरसिंह गà¥à¤°à¤¾à¤® में à¤à¤• निरà¥à¤§à¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ परिवार मे 26 सितमà¥à¤¬à¤° 1820 को ईशà¥à¤µà¤°à¤šà¤¦à¤‚à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤
रिपोर्ट -
डाॅ0 शिवकà¥à¤®à¤¾à¤° चैहान, (ईशà¥à¤µà¤°à¤šà¤¦à¤‚à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र की जयंती पर विशेष) समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• के रूप में राजा राममोहन राय का उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€, विधवा पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹ के लिठआनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ करने तथा नारी शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¬à¤² पकà¥à¤·à¤§à¤° बंगाल के मेदिनीपà¥à¤° जिले के वीरसिंह गà¥à¤°à¤¾à¤® में à¤à¤• निरà¥à¤§à¤¨ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£ परिवार मे 26 सितमà¥à¤¬à¤° 1820 को ईशà¥à¤µà¤°à¤šà¤¦à¤‚à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ ईशà¥à¤µà¤°à¤šà¤‚दà¥à¤° उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के बंगाल के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•, शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•, लेखक, अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤•, मà¥à¤¦à¥à¤°à¤•, पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤•, उदà¥à¤¯à¤®à¥€ और परोपकारी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे। जिनà¥à¤¹à¥‡ बाद में बंगाल पà¥à¤°à¥à¤¨à¤œà¤¾à¤—रण का शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ कहा जाने लगा। उनका बचपन का नाम ईशà¥à¤µà¤° चनà¥à¤¦à¥à¤° बनà¥à¤¦à¥‹à¤ªà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ था। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ और दरà¥à¤¶à¤¨ में अगाध पाणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥à¤¯ के कारण विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जीवन में ही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कॉलेज ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र की उपाधि पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की थी। वे नारी शिकà¥à¤·à¤¾ के समरà¥à¤¥à¤• रहे। उनके पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ से ही कलकतà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ बाद में अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर बालिका विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विधवाविवाह को वैध पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ किया। पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ विधवाओं के पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को 1865 के à¤à¤•à¥à¤Ÿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वैध घोषित करवाया। अपने पà¥à¤¤à¥à¤° का विवाह विधवा से ही किया। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कालेज में जहां केवल बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ और वैदà¥à¤¯ ही विदà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨ कर सकते थे, अपने पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¥‹à¤‚ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समसà¥à¤¤ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के लिठविदà¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¯à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤° खà¥à¤²à¤µà¤¾à¤à¥¤ ईशà¥à¤µà¤°à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बà¤à¤—ला गदà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥à¤•à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 52 पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की रचना की, जिनमें 17 संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में, 5 अà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में तथा शेष बà¤à¤—ला à¤à¤¾à¤·à¤¾ में थी। जिन पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विशेष साहितà¥à¤¯à¤•à¥€à¤°à¥à¤¤à¤¿ अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ की, उनमें वैतालपंचविंशति, शकà¥à¤‚तला तथा सीतावनवास पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रही। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मेधावी, सà¥à¤µà¤¾à¤µà¤²à¤‚बी, सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€, मानवीय, अधà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€, दृà¥à¤ªà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤ž, दानवीर, विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र, तà¥à¤¯à¤¾à¤—मूरà¥à¤¤à¤¿ ईशà¥à¤µà¤°à¤šà¤‚दà¥à¤° ने अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ और कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से शिकà¥à¤·à¤¾, साहितà¥à¤¯ तथा समाज के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अमिट छाप छोडी है। जिसका आने वाली पीढियाॅ सदैव अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करेगी। वे अपना जीवन à¤à¤• साधारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के रूप में जीते थे लेकिन दान पà¥à¤£à¥à¤¯ के काम को à¤à¤• राजा की तरह करते थे। वे घर में बà¥à¤¨à¥‡ हà¥à¤ साधारण सूती वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करते थे। वे à¤à¤¾à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के वन में à¤à¤• विशाल वट वृकà¥à¤· के सामान थे। कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤° व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से तंग आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने परिवार के साथ संबंध विचà¥à¤›à¥‡à¤¦ कर दिया और अपने जीवन के अंतिम 18 से 20 वरà¥à¤· बिहार (अब à¤à¤¾à¤°à¤–णà¥à¤¡) में सनà¥à¤¤à¤¾à¤² आदिवासियों के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया। उनके निवास का नाम ननà¥à¤¦à¤¨ कानन (ननà¥à¤¦à¤¨ वन) था। उनके समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में अब करमाटांड़ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ का नाम विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ किया गया है। उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के बाद रवीनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ ठाकà¥à¤° ने कहा, “लोग आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ करते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° ने चालीस लाख बंगालियों में कैसे à¤à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पैदा किया!†विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र के निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के मूल रूप को आज à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ रखा गया है। सबसे मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ लगà¤à¤— डेॠसौ वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ ‘पालकी’ है जिसे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते थे।