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सौ करोड़ हिन्दू विचार करें कि उनका अपना कोई राष्ट्र क्यों नहीं है-यति नरसिंहानन्द सरस्वती


प्राचीन तीर्थ शिवशक्ति धाम डासना में हिमाचल से आये दिव्यांग सन्त बालयोगी ज्ञाननाथ जी महाराज के पावन सानिध्य में 10 और 11 अक्टूबर 2020 को होने वाली धर्म संसद की सफलता तथा सनातन धर्म की रक्षा व सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण हेतु विजय और सदबुद्धि की देवी माँ बगलामुखी महायज्ञ का शुभारंभ हुआ।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

प्राचीन तीर्थ शिवशक्ति धाम डासना में हिमाचल से आये दिव्यांग सन्त बालयोगी ज्ञाननाथ जी महाराज के पावन सानिध्य में 10 और 11 अक्टूबर 2020 को होने वाली धर्म संसद की सफलता तथा सनातन धर्म की रक्षा व सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण हेतु विजय और सदबुद्धि की देवी माँ बगलामुखी महायज्ञ का शुभारंभ हुआ।महायज्ञ के लिये संकल्प बालयोगी ज्ञाननाथ जी महाराज ने लिया।महायज्ञ में देवपूजन का कार्य पण्डित सनोज शास्त्री कराया। महायज्ञ के शुभारंभ के अवसर में अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज ने हिन्दू समाज से कहा कि सौ करोड़ हिन्दू आज ये विचार करें कि हमारे पास अपना कोई राष्ट्र क्यों नहीं है?अब हिन्दुओ को समझना ही पड़ेगा कि अपना सनातन वैदिक राष्ट्र बनाये बिना अब हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।आज जिस भी हिन्दू को अपने धर्म,अपने परिवार,अपने बच्चों और अपने अस्तित्व से प्यार है,उसे हमारे साथ आना ही होगा। महायज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि माँ और महादेव के महायज्ञ ही हमारी विजय की नींव रखेगे। हमारे सर्वमान्य धार्मिक ग्रन्थ वेदों के अनुसार यज्ञ हमारे धर्म का सबसे आवश्यक कर्तव्य है।यज्ञ से हमारे देवता पुष्ट होते हैं और हमे बल प्रदान करते हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में हमे बताया था कि किसी भी मानव को किसी भी स्थिति में यज्ञ,सात्विक दान और तप(अर्थात योग व युद्ध कला) का परित्याग नहीं करना चाहिये क्योंकि सनातन धर्म के ये तीन आधारभूत कर्म ऋषि मुनियों और मनीषियों को भी पवित्र करते हैं। उन्होंने कहा कि जब से हम सनातन के मानने वालों अपने इन मूल कर्तव्यों का परित्याग किया है,तबसे हमारी और हमारे धर्म की दुर्गति हो गयी है।अगर हमें अपने परिवार और अपने अस्तित्व को बचाना है तो अपने इन मूल कर्तव्यों को पूरा करना ही पड़ेगा। उन्होंने इस महायज्ञ और धर्म संसद के आयोजन के लिये हिमाचल से आये दिव्यांग संत बालयोगी ज्ञाननाथ जी महाराज को साधुवाद देते हुए कहा कि जो सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प लें,वो वर्तमान युग मे सच्चे संत और सन्यासी हैं क्योंकि सन्यासी का सर्वोपरि कर्तव्य की धर्म और मानवता की रक्षा है।इस महायज्ञ के यजमान श्री राजेश यादव,धीरज नागर और अनिल यादव है।महायज्ञ में यति सत्यदेवानन्द सरस्वती जी,बृजमोहन सिंह तथा अन्य भक्तगणों ने भाग लिया।

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