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टाट वाले बाबा का वार्षिक वेदांत सम्मेलन


श्री टाट वाले बाबा जी के वार्षिक वेदांत सम्मेलन में आज द्वितीय दिवस भक्ति एवं वेदांत की गंगा प्रवाहित हुई । परम पूज्य स्वामी अखंडानंद जी महाराज द्वारा अपने मुखारविंद से सतगुरु देव की महिमा का बखान करते हुए उन्होंने कहा की वेदांत का अर्थ ही है भेद का अंत होना। जो सच को अपना लेता है वह सच स्वरूप ही हो जाता है।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार 19नवम्बर, परम पूजनीय वेदांत वेत्ता श्री टाट वाले बाबा जी के वार्षिक वेदांत सम्मेलन में आज द्वितीय दिवस भक्ति एवं वेदांत की गंगा प्रवाहित हुई । परम पूज्य स्वामी अखंडानंद जी महाराज द्वारा अपने मुखारविंद से सतगुरु देव की महिमा का बखान करते हुए उन्होंने कहा की वेदांत का अर्थ ही है भेद का अंत होना। जो सच को अपना लेता है वह सच स्वरूप ही हो जाता है। विद्वान सन्त एवं टाट वाले बाबा जी के परम शिष्य स्वामी विजयानंद जी महाराज ने गुरु के बारे में कहा कि हम जैसा ध्यान करते हैं, वैसे ही बन जाते हैं गुरु का वाक्य ही अकाट्य होता है। श्रद्धा वान को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है अंहकार से मनुष्य का जीवन दूभर हो जाता है।यह गुरु की महिमा है कि वह अपने शिष्य को अद्वैत रूप में नहीं छोड़ते हैं। गरीब दास जी के आचार्य डॉक्टर हरिहरानंद जी ने वेदांत सम्मेलन में बोलते हुए कहा की टाट वाले बाबा इस सदी के विलक्षण संतों में से एक थे जिनके पास आने का एवं दर्शनों का उन्हें लाभ मिला। उन्होंने कहा कि जिस परम तत्व को टाट वाले बाबा जी ने स्वयं पहचाना उसी तरह उनके सानिध्य में आए हजारों श्रद्धालुओं पर भी खूब कृपा आज भी बरस रही है जो भी व्यक्ति वेदांत का श्रवण गुरु चरणों में रहकर करता है वह अपने जीवन में धन्य हो जाता है गुरु अंधकार को रोकने वाला होता है तथा प्रकाशमान होता है परमपिता परमात्मा गुरु से अंधकार से प्रकाश की ओर असत्य से सत्य की ओर एवं मृत्यु से अमृत की ओर ले जाने वाली एक डोर है वह को दूर करके अज्ञान हटाकर ज्ञान की ज्योति को फैलाने वाला गुरु ही होता है। इस अवसर पर गरीब दासीय आश्रम के भागवताचार्य स्वामी रविदेव शास्त्री द्वारा गुरु की महिमा का बखान करते हुए समस्त उपस्थित भक्त जनों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने स्वरूप को पहचानना ही वेदांत का परम उद्देश्य है ।जीवन का लक्ष्य क्या है इसका निर्धारण करना अपने जीवन को सार्थक बनाने के रूप में सम्मिलित करना है। साधना सदन के तपस्वी ब्रह्मचारी मोहन चैतन्य पुरी ने टाट वाले बाबा अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि टाट वाले बाबा जैसे सन्त बहुत ही पुण्य फलों के बाद दर्शनों हेतु सुलभ होते हैं। टाट वाले बाबा के जी के परम शिष्य हरिहरानंद (भक्त )द्वारा गुरु की महिमा का बखान किया गया ।उन्होंने कहा यह शरीर नश्वर है और जिसने इस संसार में जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। मातृशक्ति की ओर से स्वामी प्रणव भारती, कृष्ण मयी मां, सुश्री महिषी देवी ,श्रीमती मधु गौड़ ,सुश्री भावना गौड़,रचना मिश्रा आदि द्वारा भी श्रृद्धा सुमन अर्पित किए गए। कार्यक्रम का सफल संचालन एस एम जेएनपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री गुरु चरण अनुरागी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती रचना मिश्रा ,एस के बोहरा, विजय शर्मा ,सुनील सोनेजा, संजय कुमार बत्रा, विनोद अरोड़ा, मधु गौड़, सुश्री महेशी देवी, आनंद सागर, उदित गोयल, सुरेंद्र खत्री, योगेश अरोड़ा ,ईश्वर चंद तनेजा,स्वामी कन्हैया लाल, रमा बोहरा,अनिल गौड़ आदि अनेकों श्रृद्धालु गण उपस्थित रहे।

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