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हेoनंoबoगoविo में संघर्ष और समाधान" विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा


हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा "भारत में कानून बनाने में न्यायपालिका और विधायिका की भूमिका: तथ्य, संघर्ष और समाधान" विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया ।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा "भारत में कानून बनाने में न्यायपालिका और विधायिका की भूमिका: तथ्य, संघर्ष और समाधान" विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया । राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो एम एम सेमवाल ने कहा कि भारतीय शासन व्यवस्था में शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत अपनाया गया है जिसमें सरकार के तीनों अंगों को अलग-अलग भूमिका ,शक्तियां तथा दायित्व प्रदत हैं किंतु वर्तमान समय में हम देखते हैं कि प्रायः विधायक द्वारा न्यायापालिका पर उसके अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण का आरोप लगाया जाता है। न्यायपालिका की सक्रियता ने सरकार को जिम्मेदारी तय करने में मदद की है। और इस स्थिति में न्यायपालिका ने जनता के अभिभावक की भूमिका निभाई है। प्रो हिमांशु बौड़ाई ने कहा कि सरकार की निष्क्रियता ने न्यायपालिका की सक्रियता को बढ़ावा दिया है। हालिया कोविड महामारी में देश मे न्यायपालिका ने ही सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए और लोगों को राहत देने के लिए सरकार को मजबूर किया। यह परिचर्चा इसी संदर्भ के साथ शुरू की गई । चर्चा का संचालन करते हुए शोध छात्र गौरव डिमरी ने इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तथा संविधान में इसको लेकर वर्णित उपबन्धों का परिचय दिया । शोध छात्रा मनस्वी सेमवाल ने कहा कि विधायिका एक स्वन्त्रत एवं विद्वतापूर्ण अंग है जिसके पास विधि निर्माण की शक्ति निहित है जबकि न्यायपालिका को सिर्फ अलार्म बेल की तरह व्यवहार करना चाहिए ना कि विधायिका के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप करना चाहिए ,साथ ही उन्होंने प्रत्यायोजित विधान (Deligated Legislation) के विषय में भी जानकारी दी । इस परिचर्चा में राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी,स्नातकोत्तर तथा स्नातक कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे । गौरव डिमरी द्वारा का कार्यक्रम का संचालन किया गया।

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