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"अंधेर नगरी चौपट राजा" क्या महाकुम्भ घोटाले में मेलाधिकारी व अपर मेलाधिकारी की कोई भूमिका नहीं?


यह सत्य है की किसी भी बड़े आयोजन की शुरुआत घोटालों से ही शुरू होती है महाकुंभ घोटाले का जिन्न जिस तरह से सामने आया है उससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस महाघोटाले में कुंभ मेलाधिकारी व अपर मेलाधिकारी की कोई भूमिका नहीं?

रिपोर्ट  - à¤…जय शर्मा

हरिद्वार(अजय शर्मा) यह सत्य है की किसी भी बड़े आयोजन की शुरुआत घोटालों से ही शुरू होती है महाकुंभ घोटाले का जिन्न जिस तरह से सामने आया है उससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस महाघोटाले में कुंभ मेलाधिकारी व अपर मेलाधिकारी की कोई भूमिका नहीं? ये सर्वविदित है कि महाकुम्भ के नाम पर जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी मनमानी करते हुए करोड़ों के वारे-न्यारे किये हैं यहाँ यह उल्लेखनीय है कि कुंभ मेला की जिम्मेदारी भ्र्ष्टाचार व आमजनता के शोषण का केंद्र बन चुके हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व सचिब की होती है यही अधिकारी कुंभमेला के मेलाधिकारी व अपर मेलाधिकारी होते हैं। प्राधिकरण बोर्ड के नियमानुसार बोर्ड बैठक में सरकार द्वारा नामित तीन गैर सरकारी सदस्य व महापालिका/नगर निगम के चार नामांकित पार्षदों की उपसिथति अनिवार्य हैं लेकिन नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर सरकार व इसके निरंकुश व बेलगाम अधिकारियों ने बोर्ड की किसी बैठक में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि/पार्षदों व गैर सरकारी सदस्यों को शामिल करना उचित नहीं समझा बोर्ड बैठक में अनुपस्थित रहे जिम्मेदार अधिकारीगण के बिना ही बैठके कर ली यही नहीं अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर एक दिन में दो-दो बैठके दिखाई गई ताकि बजट को ठिकाने लगाया जा सके। हरिद्वार में महाकुंभ के नाम पर नमामि गंगे व अवस्थापना निधि के नाम पर भारी भरकम बजट को ठिकाने लगाया गया है विकास कार्यों के नाम पर मात्र लीपापोती की गई है यदि देवभूमि की सरकार इस प्रकरण की जाँच ईमानदारी से कराए तो महाकुम्भ घोटाले में चौकने वाले तथ्य सामने आएंगे लेकिन इस सरकार से ऐसी उम्मीद करना बेमानी होगा और भ्र्ष्टाचार का खेल यूँ ही चलता रहेगा।

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