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" हरिद्वार अधिकारियों के ठेंगे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश" विश्व प्रसिद्ध हरकी पौड़ी(सार्वजनिक स्थल)पर जूता स्टाल का बनबा दिया मंदिर"


सरकारी विभाग और उनके अधिकारी किस तरह निरंकुश व बेलगाम हो चुके हैं इसका छोटा सा उदाहरण देखना है तो हरकी पौड़ी पर देख लीजिए हद तो तब हो जाती है जब अधिकारी माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों का सम्मान करने की बजाए जनहित के आदेशों को ठेंगा दिखाकर सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों को बढ़ावा देते हैं|

रिपोर्ट  - à¤…जय शर्मा

हरिद्वार(अजय शर्मा) सरकारी विभाग और उनके अधिकारी किस तरह निरंकुश व बेलगाम हो चुके हैं इसका छोटा सा उदाहरण देखना है तो हरकी पौड़ी पर देख लीजिए हद तो तब हो जाती है जब अधिकारी माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों का सम्मान करने की बजाए जनहित के आदेशों को ठेंगा दिखाकर सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों को बढ़ावा देते हैं. आपको बता दें कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार किसी भी सार्वजनिक स्थल/संपति पर मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि की आड़ में अतिक्रमण नहीं किया जा सकता और ऐसे गैर विधिक अतिक्रमणों को ध्वस्त करने का प्राविधान है लेकिन उसके विपरीत बड़े पैमाने पर अतिक्रमणकारियों ने धर्म की आड़ में सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण कर रखे हैं इन अतिक्रमणों से हरिद्वार धर्म नगरी की धड़कन कहे जाने वाली हरकी पौड़ी भी अछूती नहीं है। इस स्थल पर पुलिस चौकी की नाक के नीचे अतिक्रमण कारियों ने सबसे पहले जनहित की दुहाई देकर जूता स्टाल का अस्थायी अतिक्रमण किया फिर मौका देखकर जूता स्टाल के स्थान पर स्थायी मंदिर का निर्माण कर लिया है इस अनाधिकृत निर्माण पर आज तक किसी अधिकारी की नज़र नहीं पड़ी है| यही नहीं तीर्थ नगरी में टीन शेड पर भी नोटिस का हंटर चलाकर सील व ध्वस्तीकरण के आदेश पारित करने वाला भ्र्ष्टाचार का केंद्र बन चुका हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण भी कुम्भकर्णी नींद में है।

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