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"हरिद्वार नगर निगम के भ्र्ष्ट अधिकारी सरकार को लगा रहे करोड़ों का चूना


"हरकी पौड़ी क्षेत्र में दर्जनों फूल-फरोशी के ठेके और प्रतिबधित प्लास्टिक का अबैध कारोबार किसके संरक्षण में फलफूल रहा है?

रिपोर्ट  - à¤…जय शर्मा

हरिद्वार(अजय शर्मा) भले ही देवभूमि उत्तराखण्ड के मुखिया पुष्कर सिंह धामी निरंकुश व बेलगाम हो चुकी सरकारी मशीनरी पर लगाम लगाने का प्रयास कर रहे हों लेकिन यह इतना आसान प्रतीत होता नज़र नहीं आ रहा| चुंकि भ्र्ष्टाचार में माहिर खिलाड़ियों की जड़ें काफी गहरी हैं इन्हें शासन में बैठे इनके आकाओं औऱ प्रभावशाली नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है| यही कारण है की ऐसे अधिकारी आज भी अपने पदों यथावत बैठकर अपनी तिजोरियाँ भर सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं| इतना ही नहीं एनजीटी व पर्यावरण संबंधी आदेश भी इनके लिए कोई मायने नहीं रखते। आपको बता दें कि नगर निगम हरिद्वार द्वारा हरकी पौड़ी क्षेत्र में प्रतिवर्ष फूल-फरोशी के ठेके दिए जाते हैं और इन ठेकों से सरकार को करोड़ों का राजस्व भी प्राप्त होता है लेकिन नगर निगम के अधिकारियों के संरक्षण में इस समय दर्जनों ठेके अबैध रूप से चल रहे हैं ठेकेदार फूल फरोशी की आड़ में एनजीटी व पर्यावरण नियम आदेशों की धज्जियाँ उड़ाकर प्रतिबधित प्लास्टिक का प्रयोग भी धड़ल्ले से करते दिख रहे हैं | अति संवेदनशील इस क्षेत्र में जगह जगह अतिक्रमणकारी/ठेकेदारों ने अपनी दुकानें सजा रखी हैं चर्चा है की इस अबैध करोबार से नगर निगम के अधिकारियों को प्रतिमाह लाखों की आय/सुबिधा शुल्क के नाम पर प्राप्त हो रही है अधिकारी सरकारी कोष को भरने की बजाय अपनी तिजोरियाँ भरने में व्यस्त हैं | हाल ही में उत्तराखंड शासन के शहरी विकास विभाग ने कई अधिकारीयों के तबादले किये लेकिन ऐसे अधिकारीयों को शासन उनकी कुएशी से नहीं हिला पाया है और यह अधिकारी आज भी नगर निगम में कुंडली मारे बैठे है इस संबंध में"ऑल न्यूज भारत" ने जब जिम्मेदार अधिकारियों से जानकारी चाही तो अधिकारी संज्ञान लेने व बात करने से भी इंकार कर रहे हैं इससे स्पष्ट है कि ऐसे अधिकारीयों के लिए जनहित/राज्यहित कोई मायमे नहीं रखता| इसी को द्रष्टिगत रखते हुए "आल न्यूज़ भारत" ने हरिद्वार के जिलाधिकारी सी. रविशंकर के संज्ञान में यह प्रकरण लाया है ताकि इस अवैध कारोबार पर लगाम लग सके व अवैध कारोबार को संरक्षण देने वाले नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ विधिक प्रक्रिया के तहत कार्यवाही हो सके|

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