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आओ बात करें मुख दंत रोग से जुड़ी भ्रांतियों की


श्री गीता विहारी महाप्रभु सद्गुरूदेव भगवान की कृपा से मंथन आई हैल्थ केयर फाऊंडेशन के सौजन्य से श्री गीता कुटीर तपोवन हरिद्वार में लगाया गया मुख दंत रोग जागरूकता निरीक्षण एवं चिकित्सा शिविर

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार । मुख और दांतों की देखभाल न भी की जाए तो क्या फर्क पड़ता है? क्योंकि हम स्वस्थ हैं और तो कोई समस्या है ही नहीं? यह अज्ञानता और लापरवाही ही बाद में बड़ी कष्टदायी और महंगी पड़ सकती है। लोग समझते हैं जब तक कोई प्रत्यक्ष दांतों की समस्या नहीं आ जाती तो मैं दंत चिकित्सक के पास क्यों जाऊं? उन्हें लगता है 'ओरल हैल्थ इज नॉट कांटेक्ट रेस्ट ऑफ द बॉडीÓ। किंतु उन्हें नहीं ज्ञान कि प्राथमिक स्तर पर यदि डेंटिस्ट चेकअप कर लेवें तो लक्षण से पूर्व ही बिमारी के चिह्न सामने आ जाते हैं और बाद में मुख में होने वाली कैंसर और शुगर जैसी भयानक बीमारियों से भी बचा जा सकता है। नए अध्ययन के अनुसार मुख का स्वस्थ रहना शरीर की अन्य बीमारियों का भी कारण बना रहता है। बहुत भ्रांतियां हैं, जिन्हें हमें समझकर दूर करना है। लोगों को लगता है मीठा अधिक खाने से दांत खराब होते हैं या एस्परीन की गोली मुख में दांतों के पास रख लेने से दर्द ठीक हो जाता है तो अन्य ट्रीटमेंट लेने की क्या जरूरत। इस कारण लोग सोचते हैं यदि डाइट सोडा पी लेवें क्योंकि वह शुगर फ्री होता है फिर तो दांत खराब नहीं होंगे? नहीं, यह सोच गलत है। कोई भी सोडा एसिडिक होता है, हमारे मुख में एसिड लविंग जीवाणु भी होते हैं। ये जीवाणु उस एसिड से संबंध बनाकर दांतों की ऊपरी सतह को कमजोर कर डालते हैं। इसीलिए सोडा कैसा भी हो हानिकारक है। दूसरी बात कोई भी दवाई का दांतों के पास रख लेना ट्रीटमेंट नहीं है। रोगी को आराम के साथ- साथ ट्रीटमेंट भी चाहिए। एस्प्रीन जैसी औषधियों दंातों के पास रखते ही कुछ कैमिकल बर्न होने लगते हैं। प्रेग्नेंसी के समय कुछ समय चक्र के लिए दवाइयों के प्रयोग में ध्यान देना चाहिए किंतु ब्रश ही न करें, यह भ्रामक परंपरा है। श्री गीता कुटीर हरिद्वार में आयोजित मुख दंत रोग जागरूकता, निरीक्षण एवं चिकित्सा शिविर में पूज्य गुरूदेव डॉ. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने कहा कि डेंटल चिकित्सा में भ्रांतियां मिटाकर नई क्रांति लानी होगी, तभी समाज को इस पीड़ा से शांति मिलेगी। इस अवसर पर प्रमुख दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अंबुज चांदना ने कहा कि छोटी- छोटी लापरवाही और अज्ञानता से व्यक्ति भविष्य में महंगे इलाज की ओर भटक जाता है। डॉ. राजेश दहिया ने कहा कि दंत चिकित्सक को दिखाते समय उन्हें पहली मेडिकल हिस्ट्री भी बतानी चाहिए ताकि किसी दवाई के परीक्षण से बच सकें। छोटे बच्चों के दांतों में कैविटी आम बात है किंंतु यह टैंपरेरी है गिर जाएगा और दूसरे आ ही जाएंगे क्या करना है डेंटिस्ट को दिखाकर? जबकि इनका महत्व परमानेंट से कम नहीं। ये परमानेंट के लिए सही रास्ता बनाते हैं अन्यथा दांत टेढ़े मेढ़े होने का खतरा है। क्या ब्रश कभी भी किसी भी समय पर किया जाए या निश्चित समय पर? इस प्रश्न के उत्तर में डॉ. पुनीत मल्हौत्रा ने कहा कि दिन में स्लाइवा का फ्लो अधिक होने से दांत स्वयं भी क्लीन होते रहते हैं। किंतु रात्रि के बाद यह फ्लो कम होने से रात्रि और प्रात: अवश्य ब्रश करें। बस तरीका सही होना चाहिए। प्रेग्नेंसी के समय डेंटल ट्रीटमेंट और ब्रश अवाइड करें, यह भ्रंाति है। महिला दंत चिकित्सक डॉ. एना मदान ने कहा कि हां पहले और तीसरे कार्यकाल सत्र में अवश्य ध्यान रखें। कुछ डेंटल एक्सरे या कुछ सर्जिकल प्रोसीजर की उपेक्षा करें। अपने उद्बोधन में दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहित सिह ने कहा कि दवाइयों का प्रयोग दंत विशेषज्ञ की सलाह पर ही करें। सीधा कैमिस्ट से और वह भी जो किसी और के लाइसेंस पर काम कर रहा हो? भूलकर भी न करें। शिविर का शुभारंभ अभय प्रताप सिंह पॉलिस सीओ सिटी हरिद्वार ने दीप प्रज्जवलित कर किया। निगम पार्षद अनिल मिश्रा ने उपस्थित सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर सभी चिकित्सकों को मुमुक्षु मंडल की ओर से प्रसाद देकर सम्मानित किया। सूरत से हरबंस लाल, नीलम अरोड़ा ने भी चिकित्सकों को सम्मानित किया।

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