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नर्मदा जयंती की देशवासियों को शुभकामनायें नर्मदा सहित अन्य नदियों का प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाने का संकल्प


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माँ नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि आज के ही दिन धरती पर मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। हिन्दू संस्कृति में नदियों का बहुत अधिक महत्व है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 9 फरवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माँ नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि आज के ही दिन धरती पर मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। हिन्दू संस्कृति में नदियों का बहुत अधिक महत्व है। सनातन संस्कृति में हमारी नदियों को मां का दर्जा दिया गया है। शास्त्रोक्त्त मान्यता के अनुसार जितना पुण्य पूर्णिमा तिथि को पवित्र नदियों में स्नान से प्राप्त होता है। वैसा ही पुण्य नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में स्नान करने पर मिलता है। मां गंगा और मां नर्मदा मोक्षदायिनी हैं। आईये नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर नर्मदा सहित अन्य सहयोगी नदियों के तटों की स्वच्छता के साथ वृक्षारोपण करने का संकल्प लें। स्वामी जी ने अपने संदेश में कहा कि हिंदू धर्म में न सिर्फ देवी-देवताओं की भक्ति भाव से पूजा-उपासना करने की परंपरा है, बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और नदियों की भी पूजा होती है। हिंदू धर्म में नदियों को अत्यंत पूज्यनीय माना गया है और माँ नर्मदा का तो उद्गम ही अमरकंटक से हुआ है इसलिये उनका अत्यंत आध्यात्मिक महत्व है। स्वामी जी ने कहा कि हम सभी को नदियों के लिये सहयोगी और सहभागी दृष्टिकोण अपनाना होगा तभी हम नदी संसाधनों की निरंतरता को बनाये रख सकते हंै। हमारी सनातन संस्कृति में नदियों का अत्यंत महत्व है। भारत में 7 नदियाँ ऐसी है जिनका अत्यंत धार्मिक महत्व हैं, माँ नर्मदा उन्हीं में से एक है, जो हर भारतीय के दिल में रहती है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने धरती पर रहने वालों के पाप धोने के लिए माँ नर्मदा को उत्पन्न किया था। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नर्मदा जी के पवित्र जल में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते है।

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