गà¥à¤°à¥‚ रविदास जी की जयंती के अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने देशवासियों को शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि गà¥à¤°à¥‚ रविदास जी ने समाज को अमृतबनी के रूप में à¤à¤• पवितà¥à¤° गà¥à¤°à¤‚थ दिया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 16 फरवरी। गà¥à¤°à¥‚ रविदास जी की जयंती के अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने देशवासियों को शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ देते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि गà¥à¤°à¥‚ रविदास जी ने समाज को अमृतबनी के रूप में à¤à¤• पवितà¥à¤° गà¥à¤°à¤‚थ दिया। गà¥à¤°à¥ रविदास जी 14वीं सदी के संत तथा उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आंदोलन से संबंधित पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना पूरा जीवन जाति आधार पर हो रहे à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के उनà¥à¤®à¥‚लन के लिये समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया। उनके à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ गीतों का à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आंदोलन पर तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा। उनकी लगà¤à¤— 41 कविताओं को सिखों के धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थ ‘गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤‚थ साहिब’ में शामिल किया गया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि गà¥à¤°à¥‚ रविदास जी और à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ आंदोलन के अनà¥à¤¯ संतों ने धरà¥à¤® को à¤à¤• मातà¥à¤° औपचारिक पूजा के रूप में नहीं बलà¥à¤•à¤¿ मानवता, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के बीच पà¥à¤°à¥‡à¤® पर आधारित à¤à¤• दिवà¥à¤¯ संबंध के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया। गà¥à¤°à¥‚ रविदास जी की ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अटूट आसà¥à¤¥à¤¾ थी इसलिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· धारà¥à¤®à¤¿à¤• कविताओं का सृजन किया जो आज à¤à¥€ सà¤à¥€ के लिये पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि गà¥à¤°à¥‚ रविदास जी ने सामाजिक समरसता को बनाये रखने हेतॠमहतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी वाणी और लेखनी के माधà¥à¤¯à¤® से आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, बौदà¥à¤§à¤¿à¤• व सामाजिक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति का कà¥à¤¶à¤² नेतृतà¥à¤µ किया। उनकी वाणी में निरà¥à¤—à¥à¤£ ततà¥à¤µ का मौलिक व पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ समनà¥à¤µà¤¯ मिलता है। संत रविदास ने अपनी कविताओं के माधà¥à¤¯à¤® से समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर पहार किया। उनका मानना था कि सà¤à¥€ में समान पà¥à¤°à¤¾à¤£ -ततà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पूजà¥à¤¯ संतों ने हमेशा ही मानवता और अहिंसा के लिये अपना जीवन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया है। संत शà¥à¤°à¥€ रविदास जी ने यà¥à¤— पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामानंद जी को अपना गà¥à¤°à¥‚ बना कर उनके दिवà¥à¤¯ सतà¥à¤¸à¤‚ग से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर समाज को à¤à¤• नई दिशा पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की।