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श्री रामचरित्र मानस सम्पूर्ण मानवता की उत्कृष्ट विरासत स्वामी चिदानन्द सरस्वती


चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में गोवत्स राधाकृष्ण के श्री मुख से श्री राम कथा की अमृत रसधारा प्रवाहित हो रही है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में आशीष सूरजभान सोमानी एवं सोमानी परिवार अन्य सदस्यों ने दीप प्रज्वलित कर श्री रामकथा का शुभारम्भ किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 3 अप्रैल। चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में गोवत्स राधाकृष्ण के श्री मुख से श्री राम कथा की अमृत रसधारा प्रवाहित हो रही है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में आशीष सूरजभान सोमानी एवं सोमानी परिवार अन्य सदस्यों ने दीप प्रज्वलित कर श्री रामकथा का शुभारम्भ किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान श्री राम ने पद-प्रतिष्ठा से परे जीवन जिया, वे धर्म, जाति और संकीर्णता के दायरे मुक्त रहे। उनका सम्पूर्ण जीवन मानवीय आदर्शें से युक्त रहा, वास्तव में वे एक आदर्श नायक हंै। श्री राम जी का नैतिकता से युक्त अलौकिक व्यक्तित्व उनके जीवन को और उदात्त बनाता है। स्वामी जी ने कहा कि श्री राम जी के आदर्श चरित्र के बिना भारतीय संस्कृति और आदर्श मूल्यों की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने एक आदर्श समाज की स्थापना की इसीलिए तो वे पूज्य हैं, आराध्य हैं और अनुकरणीय हैं। वे भारतीय संस्कृति के उत्कृष्ट प्रतीक हैं। भगवान श्री राम के विविध चरित्र हैं और उन्होंने सभी चरित्रों के माध्यम से मर्यादाओं को स्थापित किया हैं। उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों के बीच समरसता स्थापित करने का उत्कृष्ट प्रयास कर विविधता में एकता स्थापित की। गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी ने अपने मधुर स्वर में रामायण की चैांपाईयों और उनके गूढ़ रहस्य को समझाते हुये कहा कि भगवान श्री राम का चरित्र आदर्शो और श्रेष्ठ मानवीय संबंधों को दर्शाता है। उनके चरित्र में मानवीय संबंधों के प्रति गहरी संवेदनायें है। भगवान श्री राम ने सम्पूर्ण मानवता को एकता के सूत्र में बांधने और मानव मूल्यों के अनुसार जीवन जीने का संदेश दिया है। श्री रामचरित्र मानस को आत्मसात करने के लिये राजस्थान सहित भारत के अन्य प्रांतों से आये श्रद्धालुओं ने माँ गंगा में स्नान, विश्व शान्ति हवन और गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी जी ने कथा व्यास राधा कृष्ण को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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