चैतà¥à¤° नवरातà¥à¤°à¤¿ के पावन अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन में गोवतà¥à¤¸ राधाकृषà¥à¤£ के शà¥à¤°à¥€ मà¥à¤– से शà¥à¤°à¥€ राम कथा की अमृत रसधारा पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हो रही है। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी के पावन सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में आशीष सूरजà¤à¤¾à¤¨ सोमानी à¤à¤µà¤‚ सोमानी परिवार अनà¥à¤¯ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने दीप पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ कर शà¥à¤°à¥€ रामकथा का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 3 अपà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥¤ चैतà¥à¤° नवरातà¥à¤°à¤¿ के पावन अवसर पर परमारà¥à¤¥ निकेतन में गोवतà¥à¤¸ राधाकृषà¥à¤£ के शà¥à¤°à¥€ मà¥à¤– से शà¥à¤°à¥€ राम कथा की अमृत रसधारा पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हो रही है। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी के पावन सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में आशीष सूरजà¤à¤¾à¤¨ सोमानी à¤à¤µà¤‚ सोमानी परिवार अनà¥à¤¯ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने दीप पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ कर शà¥à¤°à¥€ रामकथा का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम ने पद-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा से परे जीवन जिया, वे धरà¥à¤®, जाति और संकीरà¥à¤£à¤¤à¤¾ के दायरे मà¥à¤•à¥à¤¤ रहे। उनका समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन मानवीय आदरà¥à¤¶à¥‡à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहा, वासà¥à¤¤à¤µ में वे à¤à¤• आदरà¥à¤¶ नायक हंै। शà¥à¤°à¥€ राम जी का नैतिकता से यà¥à¤•à¥à¤¤ अलौकिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ उनके जीवन को और उदातà¥à¤¤ बनाता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कहा कि शà¥à¤°à¥€ राम जी के आदरà¥à¤¶ चरितà¥à¤° के बिना à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और आदरà¥à¤¶ मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं की जा सकती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• आदरà¥à¤¶ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की इसीलिठतो वे पूजà¥à¤¯ हैं, आराधà¥à¤¯ हैं और अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ हैं। वे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं। à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम के विविध चरितà¥à¤° हैं और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¤à¥€ चरितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤“ं को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच समरसता सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने का उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर विविधता में à¤à¤•à¤¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की। गोवतà¥à¤¸ शà¥à¤°à¥€ राधाकृषà¥à¤£ जी ने अपने मधà¥à¤° सà¥à¤µà¤° में रामायण की चैांपाईयों और उनके गूॠरहसà¥à¤¯ को समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम का चरितà¥à¤° आदरà¥à¤¶à¥‹ और शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मानवीय संबंधों को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। उनके चरितà¥à¤° में मानवीय संबंधों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ गहरी संवेदनायें है। à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानवता को à¤à¤•à¤¤à¤¾ के सूतà¥à¤° में बांधने और मानव मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जीवन जीने का संदेश दिया है। शà¥à¤°à¥€ रामचरितà¥à¤° मानस को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करने के लिये राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सहित à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤‚तों से आये शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं ने माठगंगा में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, विशà¥à¤µ शानà¥à¤¤à¤¿ हवन और गंगा आरती में सहà¤à¤¾à¤— किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ राधा कृषà¥à¤£ को रूदà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· का पौधा à¤à¥‡à¤‚ट किया।