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प्रज्ञावतार नाटिका में कलाकारों ने दिखाया अपना हूनर


गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में प्रज्ञावतार नाटिका का मंचन हुआ। इस नाटिका के सभी कलाकार १४-२४ आयु वर्ग के बालिकाएँ हैं और कक्षा दस से परास्नातक में अध्ययनरत हैं। नाटिका के माध्यम से कलाकारों ने भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाये रखने के लिए विविध कथानकों को मार्मिक ढंग से उकेरा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार २८ जून। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में प्रज्ञावतार नाटिका का मंचन हुआ। इस नाटिका के सभी कलाकार १४-२४ आयु वर्ग के बालिकाएँ हैं और कक्षा दस से परास्नातक में अध्ययनरत हैं। नाटिका के माध्यम से कलाकारों ने भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाये रखने के लिए विविध कथानकों को मार्मिक ढंग से उकेरा। इस अवसर पर राक्षसों ने अपने शुक्राचार्य के सलाह पर अनाचार और अत्याचार करते गये और फिर देवताओं ने मिलकर उन सभी राक्षसों का नाश करते हुए एक नये युग की स्थापना का सूत्रपात किया। उज्जैन मप्र से आये इन कलाकारों से भेंट परामर्श के क्रम में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने बालिकाओं का उत्साहवर्धन करते हुए इसे नारी सशक्तिकरण का एक अनुपम उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि शांतिकुंज परिवार ने वर्ष २०२२ को नारी सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया है। इस वर्ष गायत्री तीर्थ के तत्त्वावधान में देश-विदेश में नारी सशक्तिकरण हेतु छोटे-बड़े विविध आयोजन के साथ-साथ नारियों के प्रशिक्षणों का क्रम भी शृंखलाबद्ध तरीके से आयोजित किया जायेगा। मुख्य कलाकार पायल पाटीदार व रूपल पाटीदार ने बताया कि पहली बार प्रज्ञावतार नाटिका का मंचन उज्जैन में आयोजित विराट गायत्री महायज्ञ के अवसर पर किया गया था। हम लोगों को इसकी प्रेरणा गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी से मिली थी। भारतीय संस्कृति के प्रति युवाओं को प्रेरित करने के लिए उद्देश्य से किये गये इस नाटिका में उपस्थित जनसमुदाय ने हम सभी का जबरदस्त उत्साह बढ़ाया था। उन्होंने बताया कि अब तक एक दर्जन से अधिक बार प्रज्ञावतार नाटिका का मंचन मध्यप्रदेश के विभिन्न जनपदों में किया जा चुका है। कई स्थानों से विशेष प्रशस्ति पत्र भी प्राप्त हुआ है।

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